आइये मजहबे इस्लाम को जाने

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*📚(part 01)👇*

🤙 इस्लाम अमन और सलामती का मज़हब है जो भाईचारे और मुहब्बत का पैग़ाम देता है। साथ ही यह मुआशरे (समाज) में फैलने वाली हर बुराई जैसे झूठ, चोरी, धोखेबाज़ी, रिश्वत, बेईमानी, बेहयाई, ज़िना (Adultery) और ज़ुल्म वग़ैरा को जड़ से ख़त्म करने का हुक्म देता है।

*👉🏿इस्लामी तालीम के मुताबिक़*

📚 मुसलमान वो है जिसके हाथ से किसी मुस्लिम या ग़ैर मुस्लिम की जान और माल महफूज़ है। (हदीस)

👉🏿 लेकिन कुछ ताक़तें इस्लाम के मुहब्बत और अमन के पैग़ाम को दुनिया में फैलने देना नहीं चाहतीं। इसके पीछे उनका मक़सद मुस्लिम समाज को बाक़ी दुनिया से अलग- थलग करना है क्योंकि उन्हें डर है कि इस्लाम का पैग़ाम आम होने से लोग इसकी तरफ़ दौड़ने लगेंगे।

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*📚(part 02)👇*

🤙 इस्लाम अमन और सलामती का मज़हब है जो भाईचारे और मुहब्बत का पैग़ाम देता है। इस्लाम में ही ऐसी ख़ास बात है जिसकी वजह से यह हर दौर में क़ाबिले क़ुबूल है।

📚 और सिर्फ हुज़ुर सलल्लाहो तआला अलैह वसल्लम के बताए हुए रास्ते पर चलकर ही दुनिया की सब परेशानियों का हल निकाला जा सकता है और उस अमन-चैन को हासिल किया जा सकता है जिसकी आज दुनिया को बहुत ज़रूरत है।

👉🏿 इसलिए इस्लाम को बदनाम करने के लिए इसे दुश्मन ताक़तें आतंकवाद का एक घिनौना चेहरा दिखाकर और इसको इस्लामी कट्टरवाद या दहशतगर्दी का नाम देकर यह कहती हैं कि यह इस्लाम है.!
जबकि इस्लाम का कट्टरवाद या दहशतगर्दी से कोई लेना देना नहीं, हुज़ुर सलल्लाहो तआला अलैह वसल्लम का फ़रमान है

*ख़ुदा उस पर रहम नही करता जो इन्सानों पर रहम न करे। (बुख़ारी शरीफ़़)*

🤙इस्लाम की दुश्मन ताक़तें इस झूठे प्रचार से न सिर्फ़ ग़ैर मुस्लिमों को इस्लाम से दूर रखने में कामयाब हो रही हैं बल्कि उन मुसलमानों को भी गुमराह कर रही हैं जो इस्लाम के बुनियादी नज़रिए से भी वाक़िफ़ (familiar) नहीं हैं। (जो इस्लामी तालीम मे पिछे है या इल्म रखते ही नही.!)

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*📚(part 03)👇*

🤙गैर मुस्लिम लोग मुस्लिम समाज को बहुत बड़ा नुक़सान पहुँचाने में कामयाब हो रहे हैं और इसके ज़िम्मेदार काफ़ी हद तक हम ख़ुद भी हैं क्योंकि न तो इस्लामी तालीमात की हमें जानकारी है और न ही हम इसे जानने की कोशिश करते हैं।
👉🏿 इन बाहरी हमलों के साथ-साथ कुछ अन्दरुनी ख़तरे भी हैं जो इस्लाम की जड़ों को खोखला करने का काम कर रहे हैं। एक मुसलमान होने के नाते हमारी यह ज़िम्मेदारी है कि इनके बारे में सोचें और मुस्लिम समाज को इन हमलों और ख़तरों से बचाने के लिए जी-जान से कोशिश करें।


🔮पहला ख़तरा यह है कि मग़रिबी तहज़ीब (Western Culture) की नक़ल करने और तेज़ रफ़्तार दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलने की वजह से बहुत से मुसलमान सीधे रास्ते से भटक रहे हैं। वह सोचते हैं कि इस्लाम के रास्ते पर चलकर दुनिया की दौड़ में पिछड़ जाएंगे जो कि बिल्कुल ग़लत सोच है क्योंकि इस्लाम एक ऐसा मज़हब है जिसमें ज़िन्दगी के हर पहलू के लिए उसूल और क़ायदे बताए गए हैं जिन पर चलकर न सिर्फ़ दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है बल्कि आख़िरत को भी बेहतर बनाया जा सकता है.!

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*📚(part 04)👇*

🤙 इस्लामी भाईयों और बहनों! मुसलमानो की तमाम परेशानीयो की सिर्फ़ एक ही वजह है कि हम इस्लामी तालीम से बिल्कुल दूर होते जा रहे हैं। हम अपने बच्चों की दुनियावी तालीम पर तो लाखों रूपये पानी की तरह बहा देते हैं लेकिन इस्लामी तालीम के लिए न हमारे पास पैसा है और न ही वक़्त। हम यह क्यों भूल जाते हैं कि यह दुनिया तो बस कुछ दिन का ठिकाना है उसके बाद हमें अपने रब के सामने पेश होना है। वहाँ हर चीज़ का हिसाब लिया जायेगा और किसी भी ग़लती के लिए यह बहाना नहीं चलेगा कि हमें मालूम नहीं था बल्कि यह कहा जायेगा कि तुम्हें पहले ही बता दिया गया था कि

*👉🏿 इल्म हासिल करना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फ़र्ज है (हदीस)*

🔮 दुनिया और आख़िरत की भलाई है उन लोगों के लिए जो अपनी ज़िंदगी को हुज़ुर सलल्लाहो अलैह वसल्लम और आपकी आल व असहाब की सुन्नतों से सँवारते हैं।

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*📚(part 05)👇*

🤙 इस्लामी भाईयों व बहनों! अल्लाह तआला के फ़ज़लो करम से हम मुसलमान हैं लेकिन क्या हमें यह मालूम है कि एक मुसलमान होने के नाते हमारी क्या ज़िम्मेदारियाँ हैं? अल्लाह हमसे क्या चाहता है.? हम अपने आपको मुसलमान तो कहते हैं और यह बताने में बहुत फ़ख़्र (गर्व) महसूस करते हैं कि मैं सैयद हूँ, मैं पठान हूँ, मैं शेख़ हूँ वग़ैरह-वग़ैरह लेकिन इस्लाम की रुह हमारे अन्दर से ख़त्म होती जा रही है। आज हमारे अन्दर तरह-तरह की बुराईयाँ और ऐब पैदा होते जा रहे हैं। हमारे किरदार खोखले होते जा रहे हैं। हम झूठ, चोरी, धोखेबाज़ी, शराबनोशी, नशाख़ोरी, बेहयाई जैसी बुराईयों की दलदल में फँसते जा रहे हैं।

🔮हमें यह कभी नही भूलना चाहिए कि हमें एक दिन मरना है, क़ब्र में जाना है। जहाँ हमारे साथ कोई भी नही जाएगा। वहाँ हमारे साथ कोई जाएगा तो सिर्फ़ हमारे आमाल (कर्म)। आमाल अच्छे हुए तो क़ब्र में हमारा साथ देंगे, वहाँ की तकलीफ़, परेशानी और वहशत से हमें छुटकारा दिलाएँगे और अगर बुरे हुए तो न सिर्फ़ तकलीफ़ और परेशानी को बढ़ाएँगे बल्कि साँप बिच्छू बनकर सताएंगे।

👉🏿 हमें यही कोशिश करते रहना चाहिए कि हमारे आमाल बेहतर रहें और अल्लाह के ग़ज़ब से बचे रहें। लिहाज़ा अब हमें यह जानना चाहिए कि वह कौन से काम हैं जिन से उसका ग़ज़ब नाज़िल होता है और कौन से कामों से फ़ज़लो करम, यानि हमें दीन की जानकारी हासिल करना चाहिए जिससे हमारी दुनिया और आख़िरत बेहतर हो।

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*Topic.:- इल्म-ए-दीन और उसकी ज़रूरत.!*

*📚(part 06)👇*

🤙दीन-ए-इस्लाम का रास्ता इल्म (Knowledge) की वादियों से होकर गुज़रता है। किसी भी मज़हब में इल्म की इतनी अहमियत नहीं बताई गई जितनी इस्लाम में। क़ुरआने पाक में लगभग 700 जगह पर इल्म के बारे में कुछ न कुछ ज़िक्र है। सबसे ख़ास बात तो यह है कि क़ुरआने पाक का जो सबसे पहला लफ़्ज़ नाज़िल (उतरा) हुआ वो "इक़रा" था (इकरा का मतलब "पढ़ो").!

*✨बहुत सी अहादीस भी इल्म की अहमियत के बारे में हैं.!*

*📚मुस्लिम शरीफ़.:- जो इल्म हासिल करने के लिए सफ़र करे अल्लाह तआला उसे जन्नत के रास्ते पर चलाता है।*

*📚इब्ने माज़ह.:- जिस शख़्स को इस हालत में मौत आए कि वो इल्म को ज़िन्दा रखने के लिए इल्म हासिल कर रहा था तो जन्नत में उसके और नबियों के बीच सिर्फ़ एक दर्जे का फ़र्क़ होगा।*

क़ुरआने पाक और इन अहादीस की रौशनी में हम कह सकते हैं कि इस्लाम में इल्म का दर्जा बहुत ऊँचा है यहाँ तक कि इल्म हासील करना हर मुसलमान के लिए फर्ज क़रार दिया गया है।

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*Topic.:- इल्म-ए-दीन और उसकी ज़रूरत.!*

*📚(part 07)👇*

🤙अल्लाह का हम पर सबसे बड़ा अहसान तो यह कि उसने हमें इंसान बनाया और अपनी सारी मख़लूक़ में सबसे बेहतर बनाया और "अशरफ़ुल मख़लूक़ात" कह कर पुकारा।
फिर सबसे बढ़कर अहसान और करम यह है कि अपने सबसे प्यारे नबी हुज़ुर सलल्लाहो अलैह वसल्लम का उम्मती बनाया और सबसे बेहतरीन उम्मत क़रार दिया यानि वह उम्मत जिसमें शामिल होने की अंबिया अलैहिस्सलाम ने भी दुआएं कीं। इन नेअमतों के लिए हम उस रब का जितना भी शुक्र अदा करें कम है।

*📚इल्म की अहमियत के बारे में कुछ क़ौल*

✨ हज़रत अलीؓ फ़रमाते हैं कि इल्म माल से बेहतर है क्योंकि इल्म तेरी हिफ़ाज़त करता है और तू माल की, माल ख़र्च करने से ख़त्म हो जाता है मगर इल्म ख़र्च करने से बढ़ता है, इल्म हाकिम है और माल महकूम। मालदार चल बसे मगर इल्म वाले ज़िन्दा हैं और रहती दुनियाँ तक ज़िन्दा रहेंगे, उनके जिस्म मिट गये मगर उनके कारनामे कभी मिटने वाले नहीं।

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*📚(part 07)👇*

🤙 हज़रत मआज़ बिन जबलؓ  फ़रमाते हैं कि इल्म नूर (रौशनी) है, इससे अंधेरा दूर होता है। इल्म ही से अल्लाह की इताअत (हुक्म मानना) और इबादत का हक़ अदा होता है। इस से ही हराम और हलाल का सही पता लगता है। ख़ुश क़िस्मत लोगों के दिल ही इल्म को क़ुबूल करते हैं, बदक़िस्मत इससे महरूम रहते हैं।

🔮 इमाम ग़िज़ालीؒ फ़रमाते हैं कि इल्म की वजह से ही इंसान जानवरों से बेहतर होता है। यह वह नूर है जिसकी रौशनी में हर चीज़ की हक़ीक़त को पहचाना जा सकता है.!

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*📚(part 08)👇*

🤙हज़रत मआज़ बिन जबलؓ  फ़रमाते हैं कि इल्म नूर (रौशनी) है, इससे अंधेरा दूर होता है। इल्म ही से अल्लाह की इताअत (हुक्म मानना) और इबादत का हक़ अदा होता है। इस से ही हराम और हलाल का सही पता लगता है। ख़ुश क़िस्मत लोगों के दिल ही इल्म को क़ुबूल करते हैं, बदक़िस्मत इससे महरूम रहते हैं।

🔮 इमाम ग़िज़ालीؒ फ़रमाते हैं कि इल्म की वजह से ही इंसान जानवरों से बेहतर होता है। यह वह नूर है जिसकी रौशनी में हर चीज़ की हक़ीक़त को पहचाना जा सकता है.!

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*📚(part 09)👇*

🤙 हुज़ुर सलल्लाहो तआला अलैह वसल्लम फ़रमाते हैं कि.:-

"अल्लाह जिसके साथ भलाई का इरादा फरमाता है तो उसे दीन की समझ अता कर देता है और हिदायत दे देता है"
*📚 बुख़ारी शरीफ..*

🔮 इस हदीसे पाक से यह साबित होता है कि वह दीन ही का इल्म है जिसकी वजह से अल्लाह तआला मुसलमान को भलाई अता करता है लेकिन यहाँ पर यह बात भी क़ाबिले ग़ौर है कि दीन का इल्म सिर्फ़ नमाज़, रोज़ा या और इबादतों का ही इल्म नहीं है बल्कि इसमें वह मामलात भी शामिल हैं जो एक मुसलमान को दुनिया में रहकर करने हैं क्योंकि क़ुरआन के मुताबिक़ दुनिया आख़िरत की खेती है, लिहाज़ा हमें इल्म से यह भी सीखना ज़रूरी है कि दुनिया के कौन से काम करना जाइज़ हैं और उनके करने का सही तरीक़ा क्या है।

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*Topic.:- इल्म हासिल करने का अस्ल मक़सद.!*

*📚(part 10)👇*

🔮अल्लाह तआला को पहचानना।

🔮 उसकी बड़ाई और अज़मत को अपने दिलो दिमाग़ में अच्छी तरह बसाना।
🔮 ईमान के लिए ज़रूरी सभी अक़ाइद का जानना।
🔮 दुनिया व आख़िरत के मामलात की जानकारी हासिल करना।

🔮 बुरी आदतों से बचना।

🔮 अच्छे अख़लाक़ अपने अन्दर पैदा करना।

इसका फ़ायदा हमें सिर्फ़ इस दुनिया में ही नहीं बल्कि आख़िरत में भी मिलता है।
"और आलिम की फज़ीलत आबिद पर एैसी ही है जैसे चांद की फज़ीलत सारे सितारों पर,.!"

*📩के पोस्ट यंही पर खत्म हुआ*
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*📡फिर मिलेंगे अलग मौज़ू के साथ________👇* तब तक अपना ख्याल रखें और हमे दुआ में याद रखें!

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