💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞

💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞

              *【पोस्ट न.= 1】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 _*🌹मुसलमान और ईसाई झगड़े पर मुर्दे को ज़िन्दा करना🌹*_

*नक़ल है कि एक रोज़ सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि एक मोहल्ले से गुज़रे तो देखा कि एक मुसलमान और एक ईसाई आपस में झगड़ रहे थे, आपने वजह पूछी तो मुसलमान ने कहा यह ईसाई कहता है कि हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम तुम्हारे नबी करीमﷺ से अफ़्ज़ल है। सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि ने ईसाई से पूछा कि तुम किस दर्जे से हजरत ईसा अलैहिस्सलाम अफ़्ज़ल कहते हो? उसने कहा कि हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम मुर्दों को ज़िन्दा किया करते थे।*

 *आपने फ़रमाया कि मैं सय्यिदे आलमﷺ का उम्मती हूँ अगर में मुर्दे को ज़िन्दा कर दूं तो फिर नबी-ए-पाकﷺ की अफ़ज़लीयत को तस्लीम कर लेगा। उसने कहा ज़रूर फिर आपने उससे कहा कि क़ब्रस्तान में कोई पुरानी क़ब्र को बता जिसके मुर्दे को में ज़िन्दा करूं और मुर्दा जो दुनिया में काम करता था उसको बताता हुआ उठे। चुनांचे उसने एक पुरानी क़ब्र की तरफ इशारा किया सय्यिदिना ग़ौसे गौसे आज़म रहमतुल्लाह अलैहि ने फरमाया ( क़ुम-ब-इज़्निललाह ) तो क़ब्र फटी और मुर्दा ज़िन्दा होकर गाता हुआ बाहर निकला। यह करामत देखकर ईसाई मुसलमान हो गया।*

 *📚 तफ़्रिहुल ख़ातिर पेज न. 36*

तशरीह:-  *यह करामत सय्यिदे आलमﷺ के मोजिज़ात की इस क़बील से है जिसमें कि सय्यिदे आलमﷺ ने मुर्दे को जिन्दा फरमाया। रिवायत है कि सय्यिदे आलमﷺ ने एक शख्स को इस्लाम की दावत दी। उस शख्स ने कहा मैं उस वक्त तक ईमान नहीं लाऊंगा जब तक मेरी बेटी जो मर चुकी है उसे आप ज़िन्दा ना फ़रमाएं। आपﷺ ने फ़रमाया उसकी क़ब्र दिखाओ उस शख्स ने क़ब्र दिखाई तब आपﷺ ने उस लड़की को आवाज दी लड़की ने जवाब दिया, लब्बैक व साअदैक" ( यानी में हाज़िर हूँ  फरमांबरदार होकर) आपﷺ ने फ़रमाया क्या तू दुनिया में दोबारा आना पसन्द करेगी? उसने कहा या रसूलुल्लाहﷺ मैंने अपने रब को अपने माँ-बाप से ज़्यादा मेहरबान पाया।*

 *📚 मदारिजुन नुबूव्वत हिस्सा 1 सफह न. 359*

 *इसी तरह हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रदियल्लाह अन्हु के घर सय्यिदे आलमﷺ मेहमान बनकर तशरीफ़ ले गए हज़रत जाबिर ने बकरी ज़िब्ह की थी। उनके बड़े लड़के ने यह देखकर अपने छोटे भाई पर छुरी फेर दी, बाद में जब ग़लती का एहसास हुआ तो बड़े लड़के ने घबराकर छत पर से छलांग लगा दी है। और वह भी मर गया। फिर सय्यिदे आलमﷺ ने हज़रत जाबिर रदियल्लाहु अन्हु के बेटों को जिन्दा फ़रमाया।*

 *📚 मदारिजुन नुबूव्वत हिस्सा 1, सफह न.  359*
 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह अलैहि सफह न. 34, 35,36*


 _*🌴मुसत़फ़ा के तने बे साया का साया देखा*_
 _*जिसने देखा मेरी जां जल्वए ज़ैबा तेरा🌴*_
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              *【पोस्ट न.= 2】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 _*🌹डूबे हुए लड़के को ज़िन्दा करना🌹*_


 *नकल है कि एक लड़का दरिया में डूब गया उसकी माँ सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की ख़िदमते अक़दस में हाज़िर हुई और अर्ज़  करने लगी कि या सय्यिदी! मुझे कामिल यक़ीन है कि आप चाहें तो मेरे लड़के को ज़िन्दा कर सकते हैं बराहे करम मेरी दरख़्वास्त क़ुबूल कीजिए। आपने फ़रमाया घर लोट जा, अपने लड़के को पा लेगी तीन दिन बाद वह लड़का सही सालिम ज़िन्दा होकर पहुंच गया।*

 *सय्यिदिना ग़ौसे गौसे आज़म रहमतुल्लाह अलैहि ने मक़ामे महबूबियत में अर्ज किया ऐ परवरदिगार! तूने उस लड़के को तीन रोज़ बाद ज़िन्दा किया और मुझे उस औरत के सामने शर्मिन्दगी महसूस हुई हक़ तआला ने फ़रमाया, ऐ अब्दुल क़ादिर तुम्हारी जो दिलशक्नी हुई है हम उसका बदला देते हैं। हमने तुम्हारे नाम को अपने नाम के साथ किया जिसने तुम्हारा नाम लिया, तासीर व बरकत में और सवाब में ऐसा ही है जैसा कि उसने हमारा नाम लिया।*

 *📚 तफ़्रिहुल ख़ारित सफह न.  37*

तशरीह:-   *औलिया अल्लाह की दो क़िस्में हैं, एक क़िस्म अल्लाह में तआला की मुहब्ब है और दूसरी महबूब, जो औलिया मुहिब्ब हैं वह अल्लाह तआला की रज़ा चाहते हैं और जो औलिया महबूब हैं अल्लाह तआला उनकी रज़ा चाहता है। जैसा कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान साहिब रहमतुल्लाह अलैहि ने फ़रमाया है।*
 *(खुदा की रज़ा चाहते हैं दो आलम*
 *खुदा चाहता है रज़ाए मुहम्मद ﷺ)*

 *क्योंकि अम्बिया अलैहिमुस्सलाम में सय्यिदे आलमﷺ महबूब हैं बाकी सब मुहिब्ब, उसी तरह औलिया अल्लाह में सय्यिदिना ग़ौसे आज़म गौसे रहमतुल्लाह अलैहि और ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाहि अलैहि और कुछ दूसरे औलिया महबूब हैं और बाकी सब मुहिब्बे। फिर महबूब औलिया के सरदार सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि हैं। इसीलिए अल्लाह तआला ने आपके नाम को बरकत तासीर और सबाब में अपने नाम के साथ रखा। ऐसे औलिया मक़ामे फ़क़्र पर होते हैं एक इल्हाम में हक़ तआला ने सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि से फ़रमाया कि मेरे नज़दीक फ़क़ीर वह नहीं जिसके पास कुछ भी न हो बल्कि फ़क़ीर वह है कि जिस चीज़ को कहे कि "कुन" (हो जा) तो वह जो जाए।*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि सफह न. 36,37*


 _*🌴वाह क्या मर्तबा ए ग़ौस है बाला तेरा*_
 _*ऊंचे ऊंचों के सरों से क़दम आ'ला तेरा🌴*_
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              *【पोस्ट न.= 3】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 _*🌹ताऊन के मरीज़ों को शिफ़ा देना🌹*_


 *एक मर्तबा बग़दाद में ताऊन इस कसरत से हुई कि रोज़ाना हज़ारों लोग मरने लगे लोगों ने आपसे इस बात की शिकायत की, आपने फ़रमाया हमारे मदरसे की घास कूटकर मरीज़ों को खिलाई जाए अल्लाह तआला उसकी बरकत से शिफ़ा देगा और ताऊन की बीमारी जाती रहेगी। लोगों ने आपके हुक़्म की तामील की मरीज़ शिफ़ा पाने लगे मरीज़ों की ज़्यादा तादाद की वजह से आपने फ़रमाया जो हमारे मदरसे का एक क़तरा पानी पी लेगा उसे भी शिफ़ा होगी लोगों ने आपके मदरसे का पानी पीकर शिफ़ा-ए कामिल हासिल की और ताऊन का मर्ज़  जाता रहा और आपके ज़माने में यह बीमारी दोबारा नहीं आई।*

 *📚 तफ़्रिख़ुल ख़ातिर सफह न. 78*

तशरीह :-   *आपके मदरसे की घास और पानी में अल्लाह तआला ने शिफ़ा रखी है आपने एक मक़ाम पर फरमाया कि जो शख़्स मेरे मदरसे से होकर गुज़र जाए उस पर दोज़ख़ की आग हराम है आपके मदरसे की बेशुमार बरकात हैं यह ऐसा ही है जैसा कि सय्यिदे आलमﷺ ने फ़रमाया कि मेरी क़ब्र और मिम्बर के दर्मियान जो जगह है वह रियाज़े जन्नत है यानी जन्नत की कियारी इसलिए लोग वहाँ नफ़्ल पढ़ते हैं ताकि बख़्शिश का सबब बने जो रियाज़ुल जन्नत में पहुंच गया वह गोया जन्नत में पहुंच गया और यह कि सय्यिदे आलमﷺ जिस पानी में लुआब-ए-दहन (थूक) डालते थे वह बीमारों के लिए शिफ़ा का सबब होता था।*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि सफह न. 42,43*


_*🌴तू है वोह ग़ौस कि हर ग़ौस है शैदा तेरा*_
 _*तू है वोह ग़ौस कि हर ग़ौस है प्यासा तेरा🌴*_
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              *【पोस्ट न.= 4】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 _*🌹इस्तिस़क़ा के मरीज़ को शिफ़ा देना🌹*_


 *शैख़ ख़िज़्र अल-हुसैनी मौसली रहमतुल्लाह अलैहि बयान करते हैं कि 13 साल सय्यिदी अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि  अलैहि की ख़िदमत में रहा और बहुत सी करामात देखता रहा इन करामातों में से एक अज़ीम करामत यह थी कि जब हकीम किसी मरीज़ से आजिज़ आ जाते और जवाब दे देते तो उस मरीज़ को आपकी ख़िदमत-ए-अक़्दस में लाया जाता। आप उसके जिस्म पर हाथ फेरकर दुआ फ़रमाते तो वह मरीज़ फ़ौरन शिफ़ायाब हो जाता चुनांचे एक बार ख़लीफ़ा मुस्तन्जिद बिल्लाह का एक करीबी अज़ीज़ इस्तिस्का के मर्ज में मुब्तिला हुआ उसको आपके पास लाया गया उसका पेट पानी पीते पीते फूल गया था। जब उसके पेट पर हज़रत रहमतुल्लाहि अलैहि ने हाथ फेरा इस तरह दब गया कि जैसे उसको यह मर्ज़  था ही नहीं।*

 *एक बार अबुल मुआली बग़दादी ने आपसे अर्ज़ क्या कि मेरा बच्चा मुहम्मद पन्द्रह महीनों से बुख़ार में मुब्तिला है और किसी वक़्त भी बुख़ार कम नहीं होता। आप ने फ़रमाया उसके कान में कह दो  "ऐ उम्मे मुलदिम! शैख़ अब्दुल क़ादिर रहमतुल्लाहि अलैहि ने हुक्म दिया है कि मेरे बच्चे पर से हिला की तरफ चला जा’ अबुल मुआली ने हज़रत शैख़ रहमतुल्लाहि अलैहि के कहने पर अमल किया और बच्चे का पुराना बुख़ार जाता रहा।*

 *📚 बहजतुल असरार सफह न.  23*

तशरीह न.1 :- *आज की माद्दी  ज़िन्दगी दुनिया में जबकि ऐलोपैथी, होमियोपैथी और तिब्बे यूनानी और जर्राही वग़ैरह उरूज पर है फिर भी बहुत सी ऐसी बीमारियाँ हैं जिनका इलाज नही है। सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि अपनी करामत से ला-इलाज मरीज़ों को तन्दरुस्त फ़रमाते जैसा कि ऊपर दी गई ऐसी करामात में गुजरा। ऐसे मरीज़ों को तन्दरुस्ती फ़ौरन हासिल हो गई किसी मरहले या मशक़्क़त से नहीं गुजरना पड़ता।*

तशरीह न. 2 :-  *हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम बीमारों को शिफ़ा अता फरमाते थे चुनांचे अल्लाह तआला ने फ़रमाया  و تبری الاکمه ولا برص باذنی (सुरह मायदा, आयत 110) यानी ऐ ईसा! तुम पैदाइशी अंधे और सफ़ेद दाग वाले को मेरे हुक्म से शिफ़ा देते हो सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि भी अपनी करामत से बीमारों को तन्दरुस्ती अता फ़रमाते और आपकी करामत इस बारे में हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के मोजिज़ात की तरह है।*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि सफह न. 43,44*


_*🌴जमाले मुस्तफाﷺ का अक़्स सूरत ग़ौसे आज़म की*_
 _*निशाने ख़लक पैग़म्बर है सीरत ग़ौसे आज़म की🌴*_
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              *【पोस्ट न.=  5】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 _*🌹तन्दरुस्ती का लिबास अता करना🌹*_


*हज़रत शैख़ अली बिन इदरीस याक़ूबी रहमतुल्लाहि अलैहि फ़रमाते हैं कि मेरे शैख़े तरीक़त हज़रत शैख़ अली बिन अल हैयती एक दिन मुझे अपने साथ लेकर हज़रत सयिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर हुए और मेरे बारे में आपसे अर्ज़ किया कि हुज़ूर यह आपका मुरीद है। आपके जिस्मे अक़दस पर एक जुब्बा था आपने उसे उतारकर मुझे पहना दिया और इर्शाद फ़रमाया कि ऐ अली! तूने तन्दरुस्ती व आफ़ियत का लिबास पहन लिया है इस जुब्बे को पहनने के बाद 65 साल का ज़माना हुआ अब तक मुझे किसी तरह की बीमारी लाहिक़ नहीं हुई।*

 *📚 बहजतुल असरा सफह न. 138*

तशरीह:-   *आपके रूहानी नूरानी मुकद्दस जिस्म मुबारक से जुड़े जुब्बा-ए-मुबारक सिर्फ़ शिफ़ा का सबब के होगा बल्कि पहनने वाले लिए सयिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि के फ़यूज़ व बरकात के हुसूल का भी सबब होगा। यक़ीनन तन्दरुस्ती अल्लाह तआला के हाथ में है लेकिन हर चीज़ के लिए ज़ाहिरी व बातिनी अस्बाब होते हैं सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि का जुब्बा मुबारक बातिनी अस्बाब में से था जिसे हज़रत इब्ने इदरीस याक़ूबी ने पहना तो बीमारी क़रीब न आई और यह कि जब आपके मदरसे की घास और से पानी में शिफ़ा है तो आपके जिस्मे अक़्दस से जुड़ी कमीसे मुबारक में बदरजा-ए-कमाल शिफ़ा होगी। आपकी यह करामत हज़रत युसूफ़ अलैहिस्सलाम के मोज़िज़े की तरह है जिसमें हज़रत युसूफ़ अलैहिस्सलाम की क़मीस हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम के चेहरे पर डाली गई तो उनकी आंखों की रौशनी लोट आई।*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि सफह न. 45*


 _*🌴बन्दा क़ादिर का भी क़ादिर भी है अब्दुल क़ादिर*_
 _*सिर्रे बात़िन भी है ज़ाहिर भी है अब्दुल क़ादिर🌴*_
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               *【पोस्ट न.= 6】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 _*🌹बे औलाद औरत को साथ बेटे अता करना🌹*_


*एक रोज़ एक औरत हज़रत सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की ख़िदमत-ए-अक़्दस में हाज़िर हुई और अर्ज़ किया कि हज़रत दुआ फ़रमाएं कि अल्लाह तआला मुझे औलाद अता करे। तो आपने मुराक़बा फ़रमाकर लौहे महफ़ूज़ का मुशाहिदा किया तो उस औरत की तक़दीर में औलाद नहीं लिखी थी फिर आपने दो बेटों की दुआ की निदा आई कि लौहे महफ़ूज़ में एक भी नहीं लिखी हुई है और आप दो के लिए कह रहे हैं। आपने तीन बेटों के लिए दुआ की, फिर वही जवाब मिला इसी तरह आपने सात बेटों की दुआ की तो यह है बिशारत (खुशख़बरी) मिली कि इस औरत को आपकी दुआ से सात बेटे अता होंगे।*

 *📚 तफ़्रिहुल ख़ातिर सफह न.  94*

तशरीह न. 1 :-   *इस करामत से मालूम हुआ कि आप तक़्दीर मुबरम (अटल) को भी बदल देते थे, जैसा कि पिछली करामात में से किसी कामत की तशरीह में तफ़्सील के साथ बयान हुआ है।*

तशरीह न. 2 :-   *इस करामत से आपके मक़ामे महबूबियत का ज़हूर होता है क्योंकि जब तक़्दीर में एक भी न हो दो का मुतालबा करना और दो से बढ़ाते हुए सात तक ले जाना जब तक क़ुबूलियत की खुशख़बरी न मिले, शाने महबूबियत नहीं तो और क्या है अगर सात पर भी खुशख़बरी न मिलती तो न जाने आप कहाँ तक बढ़ाते।*

तशरीह न.3 :-   *औलाद का देना या न देना हक़ तआला ही का है काम है बन्दे का नहीं लेकिन सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलहि अल्लाह तआला से लेकर ही देते हैं खुद तो नहीं देते इसलिए यह अक़ीदा बिल्कुल ठीक है।*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह अलैहि सफह न. 46,47*


 _*🌴जिसे मांगे न पाएं जहाँ वाले*_
 _*वोह बिन मांगे तुझे हासिल है या ग़ौस रदियल्लाहु अन्हु🌴*_
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               *【पोस्ट न.= 7】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 _*🌹बे औलाद आदमी को बेटा अता किया यानी मुहीउद्दीन इब्ने अरबी रहमतुल्लाहि अलैहि🌹*_


*शैख़ अली बिन मुहम्मद अरबी बड़े मालदार थे मगर औलाद न होने के की वजह से ग़मगीन रहते थे जिस मज्ज़ूब सालिक या वली के पास जाते हर जगह यही सुनने को मिलता कि यह दर्द ला इलाह है। तेरी क़िस्मत में बेटा या बेटी कुछ भी नहीं है जब उन्होंने सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की शौहरत सुनी तो हाज़िरे ख़िदमत हुए और मिन्नत समाजत के साथ मतलब जबान पर लाए तो आपने अपनी पीठ उनकी पीठ से रगड़ी और फ़रमाया कि मैंने एक लड़का अपनी सुल्ब से तुझे दिया, यह लड़का मक़्बूले बारगाहे एज़दी और क़तुबे ज़माना होगा उसका नाम मुहीउद्दीन रखना। तो हज़रत मुहीउद्दीन इब्ने अरबी पैदा हुए वह उनको लेकर हाज़िरे ख़िदमत हुए आपने देखकर फ़रमाया सुब्हान अल्लाह कैसा बेटा हुआ है कि यह तमाम राज़ जिनको औलिया-ए-नामदार छुपाकर रखते थे उन्हें बताएगा।*

 *📚 मसालिकुस्सालीकीन सफ़ह न. 344*

तशरीह :-   *हज़रत शैख़ मुहीउद्दीन इब्ने अरबी रहमतुल्लाहि अलैहि बहुत बड़े बुज़ुर्ग गुज़रे हैं आपने मारिफ़त व हक़ीक़त की बेशुमार मोटी किताबें लिखी हैं जिनमें असरार व रूमूज़ के मोती बिखेरे हैं और सच्चाई को बताया है। आपका लक़्ब शैख़ अकबर है। सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की ऊपर बताई गई करामातों में करामातें छुपी हैं एक यह कि वे औलाद को औलाद इनायत करना।*

 *दूसरे यह कि अपनी सुलबे मुबारक से बातनी तौर पर शैख़ अली को मुन्तक़िल किया जो कि बिल्कुल अनोखा तरीक़ा है तीसरे यह कि जो लड़का पैदा हुआ वह वलीए कामिल और असरारे इलाही का हामिल शैख़ अकबर के नाम से पुकारा गया। और जैसा कि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि ने फ़रमाया वैसा ही असरारे इलाही को बताया कि दुनिया हैरान है शैख़ अकबर की किताबों में 'फ़तूहात-ए-मक्किया" और "फसूसल हुक्म" बहुत मशहूर हुई हैं आपकी दूसरी बेशुमार किताबें हैं जो तसव्वुफ़ पर लिखी गई हैं।*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि सफह न. 47,48*


 _*🌴तेरा ज़र्रा महे कामिल है या ग़ौस रदियल्लाहु अन्हु*_
 _*तेरा क़त़रा यमे साईल है या ग़ौस रदियल्लाहु अन्हु🌴*_
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              *【पोस्ट न.= 8】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 _*🌹लड़कियों को लड़के बना देना🌹*_


*एक औरत के पेट से बीस लड़कियाँ पैदा हुईं  उसका शौहर बेटियों की तादाद से नाराज़ होकर उसको तलाक़ देने पर आमादा हो गया वह घबराकर आप रहमतुल्लाहि अलहि की ख़िदमते अक़दस में हाज़िर हुई और इल्तिजा की आप रहमतुल्लाहि अलैहि ने फ़रमाया तेरा मक़्सद पूरा हो जाएगा जब वह घर आई तो देखा सब लड़कियाँ लड़के हो गये थे।*

*📚 मसालिकुस सालीकीन, सफ़्हा न. 345*

तशरीह :-   *जिन्स को बदल देना बहुत बड़ी करामत है ऐसी कई करामात आपसे जुड़ी हैं जिनमें कुछ इस किताब में बयान की गई हैं इस पर ताज्जुब न होना चाहिए क्योंकि अल्लाह तआला क़ादिरे मुतलक़ है और सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की सिफ़त क़ादरियत के मज़हर हैं। चूंकि आप अल्लाह तआला।के महबूब तरीन वली हैं लिहाज़ा।अल्लाह के हुक्म से आपने ऐसी।करामात का इज़हार फ़रमाया। कि इंसान की अक़्ल हैरान रह जाए कितने ख़ुशनसीब हैं वह लोग जिन्होंने आपके ज़माने को पाया और आपसे अक़ीदत व मोहब्बत रखी। जब उन्हें किसी तरह की मुसीबत लाहक़ होती तो हाज़िरे ख़िदमत होकर उस मुश्किल से निजात हासिल कर।लेते बाद में आने वालों के लिए।भी खुशख़बरी है कि जब भी।आपको दिल से पुकारे आप फ़रियाद रसी को पहुंचते हैं।*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि सफ़्हा न. 52, 53*


 *_🌴कोई सालिक है या वासिल है या ग़ौस रदियल्लाहु तआला अन्हु_*
 *_वोह कुछ भी हो तेरा साइल है या ग़ौस रदियल्लाहु तआला अन्हु🌴_*
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               *【पोस्ट न.= 9】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹क़ाफ़िले की डाकूओं से नजात🌹*


 *_शैख़ उसमान सरीफ़ीनी रहमतुल्लाहि अलैहि और शैख़ अब्दुल हक़ हरीमी रहमतुल्लाहि अलैहि से नक़ल किया गया है कि फ़रमाते हैं कि हम अपने शैख़ सय्यिद मुहीउद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि के पास मदरसे में थे। आप खड़े हुए, खड़ाऊं पहने हुए थे वुज़ु करके दो रक्अत नमाज़ पढ़ी, जब सलाम फेरा तो ललकारा।और एक खड़ाऊं पकड़कर हवा में फेंकी जो हमारी नज़रों से गायब हो गई। फिर दोबारा ललकारा और दूसरी खड़ाऊं फैंकी, वह भी हमारी नज़रों से।गायब हो गई फिर आप बैठ गये,।किसी में यह जुरअत न हुई कि आपसे कुछ पूछे। फिर 23 दिन।के बाद अजम शहर से एक क़ाफ़िला आया, उसने कहा कि हमारे पास हज़रत शैख़।की नज़्र है। आपने लेने की।इजाज़त दी तब उन्होंने हमको।दरियाई और रेशमी कपड़े और।सोना और हजरत शैख़।रहमतुल्लाहि अलैहि की वह।खड़ाऊं दी जो आपने उस दिन फैंकी थीं। हमने उनसे पूछा कि तुमने यह खड़ाऊं कहां से लीं उन्होंने कहा कि हम सफ़र कर रहे थे कि अचानक हमारे सामने डाकूओं का टोला आ गया उनके दो सरदार थे।_*

 *_उन्होंने हमारा माल लूटना शुरू किया फिर वह जंगल में उतरकर माल तक़्सीम करने लगे तो उसी वक़्त हमने सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि को याद किया और हमने कुछ माल नज़्र माना कि बच रहे तो हज़रत शैख़ को नज़्र करेंगे। अभी हम आपको याद ही कर रहे थे कि हमने दो ऐसी बुलन्द आवाज़ें सुनी जिससे तमाम जंगल गूंच उठा फिर वह लोग हमारे पास आए और कहा अपना माल वापस ले जाओ न जाने हम पर क्या आफ़त आ पड़ी है। फिर वह हमको अपने सरदारों के पास ले गये जो कि मरे पड़े थे और हर एक के पास एक एक खड़ाऊ पड़ी थी जो पानी से तर थी तब हमने अपना माल लिया और वह खड़ाऊं भी साथ ले आए।_*

 *📚 बहजतुल असरार, सफ़ह 198*

तशरीहः-  *_सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतल्लाहि अलैहि औलिया अल्लाह में सबसे बड़े फ़रियादरस हैं रिसाला ग़ौसुल आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि जो आपकी लिखी हुई है उसमें आपने साठ से ज़्यादा इलहामात कलमबन्द फ़रमाए हैं। हर इलहाम से पहले अल्लाह तआला आपको "या ग़ौसल आज़म" के ख़िताब से नवाज़ता है लिहाज़ा यह ख़िताब अल्लाह तआला का दिया हआ है, किसी इंसान का दिया हुआ नहीं है। जब लक़्ब और ख़िताब बख़्शा तब फ़रियादरसी और दस्तगीरी के लिए जिस इल्म और तसर्रुफ़ की ज़रूरत थी, अता की, और आपका यह मन्सब ग़ौसिया हमेशा के लिए है। एक क़सीदे के शे'र में आपने फ़रमाया हमारे अगलों के सूरज डूब चुके लेकिन हमारा सूरज अब्दुल आबाद तक फलके आला पर चमकता रहेगा, डूबेगा नहीं।_*

 *_इसीलिए सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि से फ़रियाद रसी और दस्तगीरी तल्ब करना जाइज़ है, क्योंकि अल्लाह तआला के दिए हुए तसर्रुफ़ से मख्लूक़ की दस्तगीरी फ़रमाते हैं। जो भी आपको मुसीबत में पुकारे ऊपर की करामत में क़ाफ़िले वालों ने डाकूओं से छुटकारे के लिए आपको फ़रियादरसी के लिए पुकारा लिहाज़ा सैंकड़ों मील की दूरी के बावजूद आपकी दोनों खड़ाऊं ने डाकूओं को हलाक कर दिया। और क़ाफ़िले वाले जान व माल की सलामती के साथ बग़दाद शरीफ पहुंचे।_*
 _सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि ने अपने एक क़सीदे में इर्शाद फ़रमाया_

तर्जुमा:-  *_हर ख़ौफ़ और सख़्ती में हमारा वसीला पकड़, मैं अपनी हिम्मत के साथ तमामतमाम चीज़ों में तेरी मदद करूंगा।_*
 *_अपने मुरीद का निगहबान हूँ, जिस चीज़ से वह डरे और मैं हर बुराई और फ़ितने से उसकी ओर करूंगा।_*

 *📚 मज़हर जमाले मुस्तफाई, दूसरा क़सीदा, सफ़ह 118• 118*
 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 57• 58*
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               *【पोस्ट न.= 10】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹डूबते जहाज़ को तेराना🌹*


 *_एक रोज़ आप रहमतुल्लाहि अलैहि अपने मदरसे में दर्स व तदरीस में मशगूल थे कि अचानक आपका चेहरा अक़दस सुर्ख़ हो गया और आपने हाथ चादर के अन्दर कर लिया कुछ देर बाद जब बाहर निकाला तो आस्तीन से पानी टपक रहा था। तलबा आपके जलाल से मरऊब हो गये और कुछ न पूछ सके इस बात के दो माह बाद कछ सौदागर समुन्दरी सफ़र करके बग़दाद पहुंचे और बहुत से तोहफ़े लेकर सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर हए। आपने तलबा के सामने उनका हाल पूछा सौदागरों ने बयान किया कि दो माह हुए हम पुरसुकून समन्दर में सफर कर रहे थे कि अचानक तेज़ व तुन्द हवा चलने लगी और समन्दर में एक हौलनाक तूफान आ गया हमारा जहाज़ गर्दाब में फंस गया और डूबने लगा उस वक़्त अचानक हमारी ज़बान से कल्मा या सैय्यदी अब्दुल क़ादिर म जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि निकला। हमने देखा कि एक हाथ ग़ैब से नमूदार हुआ और उसने जहाज़ को खींचकर किनारे लगा दिया तलबा ने उस वाक़िए की तारीख़ पूछी तो वही थी जिस रोज़ आपने भीगी हुई आस्तीन अपनी चादर से निकाली थी।_*

 *📚 तज़्किरा ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह  163*

तशरीहः-  *_यह करामत आपके इल्मे ग़ैब व इल्मे कश्फ़ के कमाल की दलील है फिर बग़ैर कहीं गये, बैठे बैठे जहाज़ को गर्दाब से निकालना अज़ीम वाक़िआ है और यह कि दस्तगीरी और फ़रियादरसी की ख़ातिर आपको या सय्यिदी अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि पुकारना जाइज़ है। क्योंकि पुकारने वाले का अक़ीदा होता है कि आप अल्लाह तआला के अता किए हुए इल्म व तसर्रुफ़ से ही मदद फ़रमाते हैं।_* _आपने एक कसीदे में फ़रमाया_

तर्जुमा:-  *_और मेरा मुरीद मशरिक़ या मग़रिब या चढ़े हुए दरिया तले जब भी मुझे पुकारे तो मैं उसकी दस्तगीरी करता हूँ,_*
 *_चाहे वह दोशे हवा पर हो मैं हर ख़ुसूमत के वास्ते क़ज़ा की तलवार हू।_*

 *📚 मज़हर जमाले मुस्तफाई, आठवां कसीदा, सफ़ह 140*
 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 59• 60*
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               *【पोस्ट न.= 11】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹गुमशुदा ऊंट का मिल जाना🌹*


 *_एक सौदागर शरीफ़ मक़रूज़ी चौदह ऊंटों पर शक्र लादकर तिजारत के लिए जा रहा था रास्ते में एक लक़ दक़ रेगिस्तान में क़ाफ़िले को रुकना पड़ा। रात के आख़िरी पहर जब क़ाफ़िला चलने के लिए तैयार हुआ तो चार लदे हुए ऊँट कहीं गायब हो गये सौदागर बहुत परेशान हुआ और बहुत तलाश किया लेकिन ऊँट न मिले। वह सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह अलैहि का अक़िदतमन्द था परेशानी के आलम में आपको पुकारा क्या देखता है कि एक सफ़ेदपोश नूरानी बुज़ुर्ग एक टीले पर खड़े हैं और हाथ के इशारे से अपनी तरफ़ बुला रहे हैं। जब वह उस टीले के पास पहुंचा तो वह बुज़ुर्ग गायब हो गये, उसने टीले पर चढ़कर देखा तो दूसरी तरफ चारों ऊँट सामान समीत बैठे थे।_*

 *📚 क़लाइदुल जवाहर, सफ़ह 230*

तशरीह न.1 :-  *_इससे मालूम होता है कि वह बुजुर्ग सफ़ेदपोश नूरानी आप ही होंगे कि सौदागर की रहनुमाई के लिए ज़ाहिर हए।हों या यह भी मुम्किन है कि आपने किसी बुज़ुर्ग को रहनुमाई के लिए भेजा हो। (अल्लाह ही जाने) इस करामत से यह ज़ाहिर हो गया कि आप मुसीबत जदों की फ़रियाद रसी करते हैं। जैसा कि आपके ख़िताब सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह अलैहि से ही ज़ाहिर है और आप ने खुद ही इशाद फ़रमाया है कि जो कोई किसी मुसीबत में मुझे पुकारे में उसकी दस्तगीरी करता हूँ। यह भी मालूम हुआ कि आपको इल्म भी होता है कि कौन मुसीबत में है बहुत दूर के फ़ासले से उसकी फ़रियाद भी सुन लेते हैं चाहे वह फ़रियाद दिल ही में करे और दस्तगीरी के लिए पहुंच भी जाते हैं जैसा कि आपकी शान के लाइक है।_*

तशरीह न. 2 :-  *_आपकी यह करामत सय्यिदिना हज़रत उमर रदियल्लाहु ताअला अन्हु की करामत से मुनासबत रखती है जिसमें आपने मिम्बर पर मदीना शरीफ में बैठे फ़रमाया था। कि ऐ सारिया रदियल्लाहु तआला अन्हु पहाड़ की तरफ देख सैंकड़ों मील दूर के फ़ासले पर हज़रत सारिया रदियल्लाहु तआला अन्हु ने जो लश्करे इस्लाम के सिपाहसालार थे, हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु की आवाज़ सुनकर जब पहाड़ की तरफ देखा तो दुश्मन पीछे से हमला करने वाला था। फिर आप संभल गये वर्ना दुश्मन के नरग़े में फंस जाते आपने जंग की हिक्मते अमली तब्दील कर ली और दुशमन पर फ़तेहयाब हुए।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 63• 64*
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               *【पोस्ट न.= 12】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹हिन्दू मुरीद का ईमान पर ख़ातिमा और कफ़न दफ़न🌹*


 *_शहर बुरहानपुर में एक हिन्दू रहता था वह सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि का बहुत अक़ीदत मन्द था और खुद को आपका मुरीद बताता था। और हर साल खाने पकवाकर उलमा और फ़क़ीरों को खिलाता और मशालों को रोशन करता और मजलिस को सजाता और यह सब कुछ आपकी मोहब्बत की वजह से करता। जब वह मरा तो हिन्दुओं ने उसे मरघट पर ले जाकर आग में डाला लेकिन उसका बाल भी न जला फिर उन्होंने आपस में तय करके उसे दरिया में डाल दिया। सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि ने एक बुज़ुर्ग को ख़्वाब में फ़रमाया, फ़्लां हिन्दू मेरा रूहानी फ़रज़न्द है जिसका नाम मरदाने खुदा के नज़दीक सअदुल्लाह है उसे पकड़कर गुस्ल दो और उसकी नमाज़े जनाज़ा पढ़कर दफ़न कर दो। बेशक अल्लाह तआला ने मझ से वादा फ़रमाया है कि तेरे मुरीदों को दुनिया और आख़िरत की आग में न जलाऊंगा और उनका ख़ातिमा ईमान पर और तौबा पर करूंगा।_*

 *📚 तफ़रीहुल ख़ातिर, सफ़ह 12*

तशरीह न.1 :-  *_मालम हआ कि हिन्दू दिल से मुसलमान हो चुका था और आपसे अक़ीदत व मुहब्बत रखता था लेकिन किसी मजबूरी की वजह से उसने इस हक़ीक़त का इज़हार किसी से नहीं किया था। लेकिन सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि उसकी छुपी हुई हालत से वाक़िफ़ थे इसलिए उसके मरने के बाद एक बुज़ुर्ग के ज़रिए कफन दफन का इन्तिज़ाम करवा दिया। इस वाकिए से यह भी मालूम हुआ कि ग्यारहवीं शरीफ़ मनाना जाइज़ है और सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतल्लाहि अलैहि की तवज्जोह आर इनायत उस शख़्स पर होती है जो एहतिमाम करता है, जैसा कि उस हिन्दू पर हई।_*

तशरीह न.1 :-  *_दिल्लूराम कौसरी एक हिन्दू शायर थे ईद मीलादुन्नबी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के मौक पर आप सल्लल्लाहुतआला अलैहि वसल्लम की शान और तारीफ़ में नअत लिखा करते। आख़िर इस अक़ीदत की बरकत से उन्हें ईमान नसीब हुआ और नाम अब्दुर रहमान कौसरी हुआ आप एक नअत शरीफ़ में लिखते हैं।_*
 _है इश्क़े पयम्बर में नहीं शर्त मुसलमाँ_
 _है कौसरी हिन्दू भी तलबगारे मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)_

 *_असल में जब वह हिन्दू थे, शायरी के फ़न की वजह से नअत लिखते लिखते हुज़ूर पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से इश्क़ हो गया जो ईमान लाने की वजह बना। यह शेर उसी बात की तरफ़ इशारा है उनकी मिसाल भी उस हिन्दू की सी है जो सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि से अक़ीदत रखने की वजह से साहिबे ईमान हुआ।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 67• 68*
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               *【पोस्ट न.= 13】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹सच्चे इरादतमन्द के लिए क़ब्र से बाहर आना और बैअत फ़रमाना🌹*


 *_बग़दाद शरीफ़ से दूर दराज़ एक इलाक़े में एक ताजिर रहता था जो सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि का बेहद अक़ीदतमन्द था और उसने यह इरादा कर रखा था कि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतल्लाहि अलैहि के मुबारक हाथ पर बराहे रास्त बिला वास्ता बैअत करके गुलामी और मुरीदी का शर्फ़ हासिल करेगा। मसरूफ़ियात की वजह से वह चालीस साल तक आपकी ख़िदमत में हाज़िर न हो सका आख़िरकार आप रहमतुल्लाहि अलैहि की ज़ियारत के लिए सफ़र करके बग़दाद शरीफ़ पहुंचा तो मालूम हुआ कि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की वफ़ात हो चुकी है। अपनी मुराद पूरी न होने का उसको इस क़द्र सदमा पहुंचा कि उसने अपने आपको हलाक करने की ठानी। फिर ख़्याल आया कि जब इतनी दूर आया है तो सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि के मज़ार अनवर की ज़ियारत तो कर लूं। चुनांचे जब आप रहमतुल्लाहि अलैहि की क़ब्र अनवर के पास आया तो आप हक़ीक़तन क़ब्र मुबारक से निकले ओर उसका हाथ पकड़कर उसे तवज्जोह दी और अपने सिलसिले में बैअत फ़रमाकर अपना मुरीद बना लिया उसके साथ तीन सौ आदमी भी जो उस वक़्त हाज़िरी की ख़ातिर आप रहमतुल्लाहि अलैहि के मज़ारे अक़दस पर मौजूद थे उन्होंने भी उस शख़्स के तुफ़ैल आप रहमतुल्लाहि अलैहि से बराहे रास्त बैअत की और वासिल बिल्लाह हो गये।_*

 *📚 तफ़रीहुल ख़ातिर, सफ़ह 56*

तशरीह न.1:-  *_इस करामत से मालूम हुआ कि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि क़ब्र शरीफ़ में ज़िन्दा हैं उसी तरह दूसरे औलिया कामीलीन का हाल है। अगर इरादतमन्द की सच्ची अक़ीदत मुलाहिज़ा फ़रमाई तब इसकी दिलजोई के लिए हक़ीक़तन क़ब्र अनवर से निकले और उसको और दूसरे हाज़िर लोगों को बराहे रास्त अपनी बैअत में ले लिया। इस वाक़िए से आपके इल्म और तसर्रुफ़ का भी पता चलता है और यह कि जो शख़्स सच्ची अक़ीदत के साथ खुद को आपकी तरफ मन्सूब करे वह आपके मरीदों में से ही है।_*

 *📚 तोहफ़तुल क़ादरिया, सफ़ह 40*

तशरीह न. 2:-  *_आपकी यह करामत सय्यिदे आलम नूरे मुजस्सम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के उस मोज़िज़े की क़बील से है कि शैख़ अहमद रिफ़ाई सय्यिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के रोज़ाए अक़दस पर हाज़िर हुए तो अर्ज की कि अब तक मेरी रूह आपकी ख़िदमत में सलाम पेश करने के लिए हाज़िर हुआ करती थी। अब मैं खुद हाज़िर हूं तो क़ब्र अनवर से सय्यिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने अपना दस्ते मुबारक बाहर निकाला जिसे शैख़ अहमद रिफ़ाई रहमतुल्लाहि अलैहि ने चूमा और आँखों से लगाया।_*

 *📚 सीरत ग़ौसुस सक़लैन, सफ़ह 199, बहवाला अल्लामा याफ़ई रोज़ुर रियाहीन*

तशरीह न. 3:-  *_शैख़ अबुर बरकात के ख़ादिम अबुल अशाइर से नकल है कि मैंने शैख़ अबुल बरकात से सुना वह फ़रमाते थे कि सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतल्लाहि अलैहि के इज़न के बग़ैर कोई वली ज़ाहिर व बातिन में तसर्रुफ़ नहीं कर सकता। और वह एक से शख़्स हैं कि उनको इन्तक़ाल के बाद भी दुनिया में ऐसा तसर्रूफ़ दिया गया है जैसा कि इन्तक़ाल के पहले हयाते ज़ाहिरी में था।_*

 *📚 तोहफ़तुल क़ादरिया, सफ़ह 70*
 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 68• 69• 70*
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               *【पोस्ट न.= 14】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹आपके इरादतमन्दों की क़ब्र के अज़ाब से नजात🌹*


 *_बग़दाद शरीफ़ के मुहल्ला बाबुल अज़ज के क़ब्रिस्तान में एक क़ब्र  से मुर्दे के चीख़ने की आवाज़ सुनाई देती थी लोगों ने यह बात सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि से अर्ज़ की। आपने पूछा कि क्या उस क़ब्र वाले ने मुझसे ख़िरका पहना है? लोगों ने कहा हमें मालूम नहीं फिर आपने पूछा क्या कभी उसने मेरी मजलिस में हाज़िरी दी है लोगों ने अज़्र किया हमें मालूम नहीं। फिर आपने पूछा कि क्या उसने मेरे खाने से कुछ खाया था? लोगों ने अर्ज़ किया हमें मालूम नहीं। उसके बाद आपने मुराक़बा फ़रमाया और सरे अक़दस उठाकर फ़रमाया कि फ़रिश्तों ने मुझे बताया कि उस शख़्स ने आपकी ज़ियारत की है और आपसे हुस्ने ज़न व मुहब्बत रखता था। इसलिए इस वजह से हक़ तआला ने उस पर रहम फ़रमाया उसके बाद उस क़ब्र से कभी आवाज़ सुनाई न दी।_*

 *📚 तोहफ़तुल क़ादरिया, सफ़ह 47*

तशरीह:-  *_सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि ने यह सवालात इसलिए पूछे कि लोगों को यह बात ज़हन नशीन हो जाए कि अगर किसी ने आपका ख़िरका नहीं पहना या मजलिस में हाज़िर न हो सका या आपके पीछे नमाज़ पढ़ सका तब भी आपसे हुस्ने ज़न रखा और मुहब्बत रखी तो हक़ तआला उस पर रहम फ़रमाता है। जो लोग आपके ज़माने में थे उनके लिए मुमकिन था कि वह आपकी इनायत से ख़िरका हासिल कर लेते या आपकी मजलिस में हाज़िर हो जाते या आपके पीछे नमाज़ पढ़ लेते। लेकिन यह सआदत बाद में आने वालों को कैसे हासिल हो सकती है इसलिए बाद वालों के लिए यह बड़ी सआदत है कि आपसे हुस्ने ज़न और मुहब्बत रखें या खुद को आपकी तरफ जोड़ें या सिलसिला क़ादरिया में दाख़िल होकर आपसे निस्बत क़ाइम करें।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 70• 71*
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               *【पोस्ट न.= 15】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹आपका नाम लेने वाले की क़ब्र के अज़ाब से नजात🌹*


 *_एक बहुत ही गुनाहगार शख़्स था लेकिन उसके दिल में सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की मुहब्बत थी। जब उसके मरने के बाद उसको कफ़न दिया गया तो क़ब्र में मुनकर नकीर ने सवालात किए तो उसने हर बार सय्यिदी अब्दुल क़ादिर कहा तो मुनकर नकीर को हक़ तआला की तरफ से हुक्म आया। कि अगर्चे यह बन्दा फ़ासिक़ों में से है, इसको मेरे महबूब सयिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि से जो सादीक़ीन में से हैं मोहब्बत है इसलिए इसको छोड़ दो और कुछ न कहो।_*

 *📚 तफ़्रिहुल ख़ातिर, सफ़ह 52*

तशरीहः-  *_मालूम हुआ कि बख़्शिश और नजात का दारोमदार सिर्फ़ आमाल पर ही नहीं है, बल्कि सय्यिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की शफ़ाअत और अहलुल्लाह से मोहब्बत पर भी है। यह वाक़िआ इस हदीस के वाक़िए से मुताबक़त रखता है कि एक शख़्स ने सय्यिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से पूछा क़यामत कब आयेगी? आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया तूने क़यामत के लिए क्या तैयारी की है। अर्ज़ किया में अमल तो इतने नहीं रखता अलबत्ता अल्लाह तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को दोस्त रखता हूँ। सय्यिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया बन्दा उसके साथ होगा जिससे वह मुहब्बत रखता है।_*

 *📚 मदारिजुन नबुब्बत, हिस्सा 1, सफ़ह 52*

 *_इसलिए मालूम हुआ कि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि से मोहब्बत रखने वाले की बख़्शिश होगी।_* इन्शा अल्लाह

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 71•72*
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               *【पोस्ट न.= 16】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹आपको आज़माने वाले सौ फुक़्हा की गिरफ़्त और माफ़ी🌹*


 *_शैख़ आरिफ़ बिन नबहान बिर रकाफ़ शैबानी रहमतुल्लाहि अलैहि से नक़ल है कि आप फ़रमाते हैं कि जब शैख़ मुहीउद्दीन सय्यिद अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि की शौहरत बढ़ी तो बग़दाद के सौ फुक़्हा इसलिए जमा हुए कि हर एक उनमें से अलग अलग उलूम में मस्ला पूछे ताकि आप जवाब न दे सकें। यह सब मिलकर आपकी मजलिसे वाअज़ में आए मैं उस दिन वहीं मौजूद था। जब मजलिस क़ाइम हुई तो शैख़ मुहीउद्दीन रहमतुल्लाहि अलैहि मराक़बे में हुए। और आपके सीने से एक नूर की बिजली चमकी जिसको वही शख़्स देखता था जिसे ख़ुदा तआला दिखाना चाहता उन सौ फ़क़ीहों के सीनों पर से उसका गुज़र हुआ जिससे वह बेक़रार हो गये और चिल्ला उठे। आपकी कुर्सी तक गये और अपने सिरों को आपके क़दमों पर रख दिया और अचानक मजलिस में शोर पैदा हो गया तब हज़रत शैख़ रहमतुल्लाहि अलैहि ने हर एक को सीने से लगाया और हर एक से कहा कि तुम्हारा मसला यह था और उसका जवाब यह है। यहाँ तक कि सबके मसाइल बयान कर दिए जब मजलिस ख़तम हुई तो में उन फुक़्हा के पास आया और उनसे हाल पूछा तो कहने लगे कि जब हम मजलिस में बैठे तो हमारे सीनों से तमाम उलूम सल्ब हो गये जैसा कि हमको कभी इल्म था ही नहीं। फिर जब आपने हमको सीने से लगाया तो वह तमाम उलूम वापस कर दिए फिर आपने वह तमाम मसाइल के जवाब बयान कर दिए जो हम तैयार कर लाये थे।_*

 *📚 बहजतुल असरा, सफ़ह 281*

तशरीह:-  *_इस करामत से कई बातों का पता चलता है कि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि का इतना तसर्रुफ़ हासिल है कि आप दूसरों के सीनों से इल्म को सल्ब कर सकते हैं और वापस भी अता कर सकते हैं। दुसरे यह कि आपको यह ग़ैब का इल्म हासिल था कि वह फुक़्हा किस इरादे से आए है और उनके क्या सवालात थे तीसरे यह कि जो कोई औलियाए कामिलीन को आज़माए या उनकी शान को कम करने की कोशिश करता है उसका अपना ही नुक़्सान होता है। जैसा कि उन फुक़्हा को होने लगा था, अगर आप दरगुज़र न फ़रमाते चौथे यह कि आपका इल्म इस क़द्र बड़ा था कि सब के मुदल्लल जवाबात अता फ़रमाए।_*

 *_तोहफ़तुल क़ादरिया में है कि इब्ने सक़ा अब्दुल्लाह और सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि एक शख़्स की ज़ियारत को गये जिसके बारे में मशहूर था कि वह ग़ौस है। रास्ते में इब्ने सक़ा ने कहा कि में ग़ौस से ऐसा सवाल करूंगा जिसका वह जवाब नहीं दे सकेगा अब्दुल्लाह ने कहा कि मैं कुछ पूछूंगा देखें उसका क्या जवाब दे। सय्यिद अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलेहि ने कहा अल्लाह न करे मैं हरगिज़ ऐसा सवाल नहीं करूंगा बल्कि दीदार की बरकत का इन्तिज़ार करूंगा। जब वह ग़ौस के पास गये तो उन्होंने इब्ने सक़ा को गुस्से से देखा और कहा तेरा सवाल यह है और जवाब यह है मैं तेरे अंदर कुफ़्र की आग जलती देखता हूँ। अब्दुल्लाह से कहा, तेरा सवाल यह है और जवाब यह है तू दुनिया में डूबा रहेगा सय्यिदी अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि को नज़दीक बिठाया, इज़्ज़त की और कहा आपने अल्लाह और रसूल को खुश किया।_*

 *📚 तोहफ़तुल क़ादरिया, सफ़ह 64*
 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 73•74*
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               *【पोस्ट न.= 17】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹लोगों के दिल आपके दस्ते तसर्रुफ़ में होना🌹*


 *_शैख़ उमर बज़ाज़ रहमतुल्लाहि अलैहि से नक़ल है कि आपने फ़रमाया कि में सय्यिद मुहीउद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि के साथ जुमे के दिन जामा मस्जिद की तरफ गया। आपको किसी न सलाम न किया मैंने कहा यह अजीब बात है हम तो हर जुमा जामा मस्जिद में जाते थे और हज़रत शैख़ रहमतुल्लाहि अलैहि के साथ इस क़द्र भीड़ होती थी कि हम मुश्किल से पहुंचते थे। मैंने यह बात अभी पूरी भी न की थी कि हज़रत शैख़ रहमतुल्लाहि अलैहि ने मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुराए और लोगों ने सलाम कहने में जल्दी की यहां तक कि मुझ में और आप में लोग बीच में आ गये फिर मैंने दिल में कहा कि वह हाल इस हाल से बेहतर था। तब आपने मेरी तरफ़ तवज्जोह की और मुस्कुराते हुए फ़रमाया, ऐ उमर! तुम ही ने इरादा किया था क्या तुम्हें मालूम नहीं कि लोगों के दिल मेरे हाथ में हैं, अगर चाहूँ तो अपनी तरफ से फैर दूं और चाहूँ तो मुतवज्जह कर लूँ।_*

 *📚 बहजतुल असरार, सफ़ह 224*

तशरीहः-  *_सय्यिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मख़्लूक़ के दिल अल्लाह की दो उंगलियों के बीच में हैं वह जिस तरह चाहता है उलटता पलटता है। तो अल्लाह तआला ने अपने महबूब वली को उस तसर्रुफ़ व कमाल का मज़हर बनाया कि लोगों के दिल जिस तरफ चाहते फेर देते इस करामत से आपके इल्मे ग़ैब का भी पता चलता है कि दूसरे के दिल की बातों को जानते थे।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 77*
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               *【पोस्ट न.= 18】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹मुश्किलात की गिरहें खोलना🌹*


 *_हज़रत अबुल हसन जोसक़ी रहमतुल्लाहि अलैहि से नक़ल है कि एक बार मुझ पर एक वारदात अज़ीम ज़ाहिर हुई कि जिसके बहुत से काम मेरे लिए मश्किल थे। मैं अपने शैख़ हज़रत नसर अल-हैयती रहमतुल्लाहि अलैहि के पास गया ताकि अपनी मुश्किलात उनसे बयान करूं और उनका हल पूछूं। इससे पहले कि मैं कुछ कहूँ आपने फ़रमाया कि हम तेरी मुश्किलात को बातों से हल नहीं कर सकते बल्कि वह क़ुदरते अफ़आल से हल होंगे और यह बात इस ज़माने में सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतल्लाहि अलैहि की क़ुदरत में है, उनकी ख़िदमत में जाना चाहिए।_*

 *_मैं वहाँ से सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि की ख़िदमत में आया तो देखा कि हज़रत शैख़ रहमतुल्लाहि अलैहि मदरसे की महराब से टेक लगाये हैं। मैं आगे गया तो मेरी तरफ़ देखकर एक रंगीन धागा जिसमें बहुत सी गिरहें थीं मुसल्ले के नीचे से निकाला, उसका एक सिरा अपने हाथ में रखा और दूसरा मेरे हाथ में दे दिया और हर गिरह के बदले जो उस धागे से खोलते थे मेरे हाल की एक गिरह खुल जाती थी। जब सब गिरहें खोल चुके तो उस वारदात की तमाम मुश्किलात आसान हो गई और उसके छुपे हुए राज़ मुझ पर ज़ाहिर हो गये फिर फ़रमाया इनको ताक़त से पकड़ और अपनी क़ौम से कह कि इनको अच्छी तरह पकड़ें। फिर में शौख़ अली अल-हैयती रहमतल्लाहि अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर आया तो उन्होंने फ़रमाया कि मैंने पहले ही न कहा था कि सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि आरिफ़ों के इमामों के बादशाह और मुतसर्राफ़ीने ज़माम के मालिक हैं।_*

 *📚 बहजतुल असरार, सफ़ह 126*
 *📚 तोहफ़तुल क़ादरिया, सफ़ह 69*

तशरीह:-  *_इस करामत से सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि के कमाले तसर्रुफ़ का पता चलता है कि अबुल हसन जोसक़ी रहमतुल्लाहि अलेहि के हाल में कई रुकावटें थी वह एक एक करक दूर कर दीं। गिरह रुकावट के मतलब में लिया जाता है इसलिए ज़ाहिरी वजह के लिहाज़ से धागे की गिरह खोलते गये लेकिन उस अमल के साथ आपका तसर्रुफ़ शामिल था। जब उनकी तमाम गिरहें खोल दीं यानी तमाम रुकावटें दूर कर दीं तो हाल बहाल हो गया और छुपे राज़ ज़ाहिर हो गये इस करामत से यह भी मालूम हुआ कि यह काम सिर्फ आप ही कर सकते थे वरना अबुल हसन जोसक़ी रहमतुल्लाहि अलैहि के पीर मुरशिद शैख़ नसर अल-हैयती रहमतुल्लाहि अलैहि जो खुद एक बड़े वलीए कामिल थे अपने मुरीद की खुद मुश्किलात दूर कर सकते थे।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 78• 79*
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               *【पोस्ट न.= 19】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹एक गवय्ये की तौबा का वाक़िआ🌹*


 *_शैख़ अबू रज़ा रहमतुल्लाहि अलैहि का बयान है कि एक रोज़ सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि ईसार के बारे में बात कर रहे थे कि इतने में आप ख़ामोश हो गये और फिर फ़रमाया, मैं तुमसे सिर्फ सौ दीनार के लिए कहता हूँ। बहुत से लोग आपके पास सौ सौ दीनार लेकर आये, आपने सिर्फ एक शख़्स से लिए और मुझको बुलाकर फ़रमाया कि तुम यह रक़म लेकर मक़बरा शोनीज़या जाओ, वहां एक बूढ़ा शख़्स बरबत बजा रहा होगा उसे यह दे दो और उसको मेरे पास ले आओ मैं गया और सौ दीनार उसको दिए। वह यह देखकर चिल्लाया और बेहोश हो गया जब होश में आया तो मैंने उससे कहा कि हज़रत सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि तुमको बला रहे है।_*
 _*वह शख़्स बरबत अपने कंधे पर रखकर मेरे साथ चल दिया जब हम आपकी ख़िदमत में पहुंचे तो आपने उससे फ़रमाया तुम अपना किस्सा तफ़्सील से बयान करो। उसने कहा हुजूर! मैं अपने बचपन में बहुत उमदा गाता बजाता था और लोग बड़े शौक से मेरा गाना सुनते थे जब मैं बुढ़ापे को पहुंचा तो लोगों का इल्तिफ़ात मेरी तरफ से कम हो गया। इसलिए मैं वादा करके शहर से बाहर निकल गया कि अब आइंदा में सिर्फ मुर्दों को अपना गाना सुनाउंगा। मैं इस हालत में क़ब्रिस्तान में फिरता रहा, एक मर्तबा एक आदमी ने क़ब्र से सर निकालकर कहा कि तुम मर्दों को अपना गाना कहाँ तक सुनाओगे फिर मुझे नींद आ गई।* फिर मैंने उठकर यह शेर पड़े।_

तर्जुमा:-  *_इलाही क़यामत के दिन के लिए मेरे पास कोई सामान सिवाए इसके नहीं कि दिल से उम्मीद मग़फ़िरत की रखता हूँ और ज़बान से तेरी हम्द व सना करता हूँ। कल उम्मीद रखने वाले तेरी बारगाह में कामियाब होंगे अगर में महरूम रह जाऊं तो मेरी बदक़िस्मती पर अफ़सोस। अगर नेक लोग ही तेरी बख़्शिश के उम्मीदवार होते तो गुनाहगार लोग किसके पास जाकर पनाह लेते मेरा बुढ़ापा क़यामत के दिन तेरी दरगाह में मेरा शफी बनेगा उम्मीद है कि तू मुझे इसका लिहाज़ करके दोज़ख से बचा लेगा।_*

 *_मैं खड़ा यही अशआर पढ़ रहा था कि इतने में आपके ख़ादिम ने आकर यह दीनार दिए अब मैं गाने बजाने से तौबा करके खुदा की तरफ मुड़ता हूं और फिर उसने अपना बरबत तोड़ डाला। उस वक़्त सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि ने सबसे मुख़ातब होकर फ़रमाया जब उस शख़्स ने एक झूठ बात में रास्तबाजी और सच्चाई इख़्तियार की तो खुदा तआला ने उसे उसके मक़्सद में कामियाब किया। तो जो शख़्स फ़क़्र  व तरीकत में अपने तमाम कामों में सच्चाई से काम ले तो उसका क्या हाल होगा।_*

 *📚 क़लाइदुल जवाहर, सफ़ह 95*

तशरीहः-  *_इस करामत से सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि के इल्मे ग़ैब का पता चलता है कि गाने वाले के दिल की कैफ़ियत को जानते थे और जबकि वह मायूसी के आलम में था, आपने तालीफ़े क़ल्ब के लिए सौ दीनार उसे इनायत किए। और आप की तावज्जोह और तसर्रुफ़ से वह उस ग़ैर शरई काम को छोड़ सका और यह कि आपने यह फ़रमाकर कि अल्लाह तआला ने उसे उसके मक़्सद में कामियाब किया। उसके क़ुर्बे विलायत की ख़बर दी जब आपके घर आने वाला चोर क़ुतुब बन सकता है तो फिर आपके हाथ पर तौबा करने वाला वली और मुक़र्रब बारगाहे इलाही क्यों न बने।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 79• 80• 81*
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               *【पोस्ट न.= 20】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹यहया नाम के बेटे के पैदा होने की पेशीनगोई🌹*


 *_सय्यिदिना अब्दुल वहाब रहमतुल्लाहि अलैहि का बयान है कि आप फ़रमाते हैं कि एक बार वालिद माजिद सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि सख़्त बीमार हो गए हम उनके पास बैठ गए। हमारी इस हालत को देखकर आपने फ़रमाया अभी मुझे मौत नहीं आएगी क्योंकि मेरी पुश्त में यहया नामी एक लड़का हैं जिसकी पैदाइश होनी हैं आपके फ़रमाने के मुताबिक साहबज़ादे की विलादत हुई और यहया नाम रखा गया फिर एक लम्बे वक़्त तक आप ज़िन्दा रहे।_*

 *📚 सीरते ग़ौसुल सक़लैन, सफ़ह 143, बहवाला क़लाइदुल जवाहर*

तशरीह:-  *_आपका इल्मे ग़ैब इस कमाल दर्जे का था कि आप जानते थे कि सुल्ब में किसकी हक़ीक़त मौजूद है लिहाज़ा आपने पेशीनगोई फ़रमा दी कि यहया नामी लड़का पैदा होगा। इससे यह बात भी ज़ाहिर होती है कि आपके इल्मे ग़ैब में यह बात भी शामिल है कि माँ के पेट में क्या है, यानी लड़का है या लड़की कुरआन पाक में अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि पांच चीज़ों का इल्म सिवाए उसके किसी को नहीं।_*

 *_उन पांच में से एक चीज़ यह है कि माँ के पेट में लड़का है या लड़की इस फ़रमान से कुछ लोग समझते हैं कि इस बात का इल्म अल्लाह तआला के सिवा किसी को नहीं हो सकता फिर सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि को किस तरह हो सकता है। बात यह है कि ह़क़ीक़ी और ज़ाती इल्म हक़ तआला के सिवा किसी को नहीं जो कुरआन के फ़रमान के ऐन मुताबिक़ है। मगर अल्लाह तआला के अता करने से किसी को इल्मे ग़ैब अता हो तो वह इल्मे ज़ाती नहीं बल्कि अता किया।हुआ है जो किसी नबी या वली के लिए जाइज़ या मुम्किन है। इस करामत में सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि का इल्म कि आपके सल्ब में यहया नामी बेटा है यह इल्मे ग़ैब अता किया हुआ है। ध्यान रहे कि यह जानना कि बाप के सुल्ब में क्या है बेटा या बेटी अकमल तर है, इस बात से कि जाना जाए कि माँ के पेट में क्या है।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 81• 82*
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_*【ﺑِﺴْــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟـــﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلْـــرﺣـــــــــــِﻴﻢ】*_

_*【اَلصَّلٰوةُ وَالسلَامُ عَلَي٘كَ يَارَسُوٌلَ الـلّٰهِ ﷺ】*_


               *【पोस्ट न.= 21】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹ग़ैब की ख़बरें देना🌹*


 *_शैख़ ख़िज़्र अल-हुसैनी ने कहा कि सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि ने मुझ से फ़रमाया कि तुम मूसिल जाओगे, वहां तुम्हारे यहाँ औलाद होगी पहली बार लड़का होगा, जिसका नाम मुहम्मद होगा। जब वह सात साल का होगा तो बग़दाद का एक अली नामी नाबीना शख़्स छः माह में उसे कुरआन मजीद हिफ़्ज़ करा देगा और तुम चौरानवे साल छः माह सात दिन की उम्र में अरबल में इन्तक़ाल करोगे और तुम्हारी सुनने की ताक़त और जिस्म के हिस्से की ताक़त उस वक़्त बिल्कुल ठीक होगी।_*

 *_चुनांचे शैख़ ख़िज़्र अल-हसैनी के बेटे अबु अब्दुल्लाह मुहम्मद का बयान है कि मेरे वालिद मूसिल शहर में आकर ठहरे और वहीं माहे सफ़र अल-मुजफ़्फ़र में मेरी पैदाइश हुई। जब मैं सात साल का हुआ तो वालिद ने मेरी तालीम के लिए एक नाबीना हाफिज़ मुक़र्रर किया जिनका नाम अली था और बगदाद के रहने वाले थे। फिर मेरे वालिद का इन्तक़ाल अरबल में चौरानवे साल छ: माह सात दिन की उम्र में हुआ और उनकी सेहत बिल्कुल ठीक थी और तमाम हवास सही थे।_*

 *📚 क़लाइदुल जवाहर, सफ़ह 126*

तशरीहः-  *_यह सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की करामत भी है और आपके इल्मे ग़ैब का कमाल भी जैसा कि आपने फ़रमाया बिल्कुल ठीक वैसा ही हुआ।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 82• 83*
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               *【पोस्ट न.= 22】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹हज़रत ईसा का ज़माना पाने की ख़बर देना🌹*


 *_आपके साहबज़ादे हज़रत सय्यिद अब्दुल वहाब रहमतुल्लाहि अलैहि के पांच बेटे थे उनमें से एक हज़रत सय्यिद जमालुल्लाह आपके हमशक्ल और हम शबीह और निहायत खूब सीरत थे। आपने उनसे फ़रमाया कि तेरी उम्र लम्बी होगी, तू ज़माना हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का पाएगा मेरा सलाम उनकी ख़िदमत में पहुंचाना, तो वह अभी भी ज़िन्दा और मौजूद हैं और सात अब्दालों में से एक अब्दाल हैं और शहर बिस्ताम में ठहरे हुए हैं।_*

 *📚 मसालिकुस सालीकीन, सफ़ह 345*

तशरीहः-  *_इस करामत से मालूम हुआ कि हज़रत सय्यिद जमालुल्लाह रहमतल्लाहि अलैहि सय्यिदिना गौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि के ज़माने से ज़िन्दा हैं और ज़िन्दा रहेंगे, यहाँ तक कि वह हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का ज़माना पा लेंगे। जबकि हज़रत इसा अलैहिस्सलाम चौथे आसमान से दुनिया में दोबारा तशरीफ लाएंगे, जैसा कि हदीस शरीफ में आया है हज़रत सय्यिद जमालुल्लाह रहमतुल्लाहि अलैहि की उस वक़्त तक मौत नहीं होगी जब तक कि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि का सलाम हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को न पहुंचा दें।_*

 *_क्योंकि ग़ौसे पाक रहमतुल्लाहि अलैहि का फ़रमान सच्चा है और पूरा होकर रहेगा हज़रत जमालुल्लाह रहमतुल्लाहि अलैहि उन सात अब्दालों में से एक हैं जो शहर बिस्ताम में हैं। इससे मालूम हुआ कि आपको कोई नहीं पहचानता होगा सिवाए औलियाए कामिलीन के दूसरे जैसा कि हज़रत ख़िज़ अलैहिस्सलाम को हमेशा की ज़िन्दगी मिली, आबे हयात पीने की वजह से यानी क़यामत तक आप ज़िन्दा रहेंगे। फिर कुदरती मौत आएगी उनकी जैसे हज़रत जमालुल्लाह रहमतुल्लाहि अलैहि का मामला है कि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि के ज़माने से हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के ज़माने तक आपका ज़िन्दा रहना साफ है। इसके बाद भी कब तक रहेंगे इसका ज़िक्र नहीं यह आपकी अज़ीम करामतों में से है मालूम हुआ कि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि का फ़रमान आबे हयात का दर्जा रखता है।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 83• 84*
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               *【पोस्ट न.= 23】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹छत गिरने की पेशीनगोई🌹*


 *_मोहर्रम के दिनों में एक दिन हज़रत सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि अपने मेहमानख़ाने में तशरीफ़ फ़रमा थे तीन सौ के क़रीब लोग भी आप रहमतुल्लाहि अलैहि की ख़िदमते अक़दस में हाज़िर थे। अचानक उठकर आप रहमतुल्लाहि अलैहि मेहमानख़ाने से बाहर तशरीफ़ ले गये और तमाम लोगों को बाहर आने का हुक़्म दिया, सब लोग बाहर आये. उनका बाहर आना था कि उस मकान की छत धड़ाम से गिर पड़ी। आप रहमतल्लाहि अलैहि ने फ़रमाया कि में बैठा हुआ था कि मुझे ग़ैब से इत्तिला दी गई कि इस मकान की छत गिरने वाली है, चुनांचे मैं बाहर आ गया और आप लोगों को भी अपने पास बुला लिया कि कोई दब न जाए।_*

 *📚 तज़्किरा सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 151*
 *📚 बहजतुल असरार, सफ़ह 214*

तशरीहः-  *_छत के गिरने का मामला गैब का था अल्लाह तआला ने कश्फ़ व इल्हाम के ज़रिए सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि को आगाह फ़रमा दिया तब आप बाहर तशरीफ़ लाए और सबको जो वहां मौजूद थे बाहर बुला लिया। इस तरह सब सलामत रहे अल्लाह तआला इल्मे ग़ैब अपने हबीब सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को भी अता फ़रमाता है और आप के तुफ़ैल आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की उम्मत के औलिया को भी जो ग़ैब का इल्म अल्लाह तआला के अता करने से हासिल हो उसमें किसी का इख़्तिलाफ नहीं।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 85*
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               *【पोस्ट न.= 24】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹दिल की ख़्वाहिश को जानना और पूरा करना🌹*


 *_शैख़ अबुल हसन सअद उन्दलसी रहमतुल्लाहि अलैहि का बयान है कि मैं एक बार जब सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि के वअज़ की मजलिस में हाज़िर हुआ तो आप ज़ोहद के बारे में बयान फ़रमा रहे थे। मेरे दिल में ख़्वाहिश पैदा हुई कि आप मारिफ़त के बारे में बयान फ़रमाएं तब आपने ज़ोहद पर कलाम ख़तम किया और मारिफ़त पर बयान फ़रमाने लगे कि ऐसा बयान मैंने कभी न सुना था।_*

 *_फिर आपने दिल में सोचा कि क्या ही अच्छा होता कि आप शौक़ के बारे में बयान फ़रमाएं तब आपने शौक़ का बयान शुरू कर दिया कि मैंने ऐसा कलाम कभी न सुना था फिर मैंने दिल में ख़्वाहिश की फ़ना व बक़ा पर आप बयान फ़रमाएं तब आपने फ़ना व बक़ा के बारे में बयान किया। फिर मेरे दिल में ख़्याल आया आप ग़ैबूबियत और हुज़ूरी के बारे में बयान फ़रमाएं तब हज़रत शैख़ रहमतुल्लाहि अलैहि ने फ़रमाया कि ऐ अबुल हसन! तुझको यही काफ़ी है इस पर मैं वजद में आ गया।_*

 *📚 बहजतुल असरार, सफ़ह 276*

तशरीहः-  *_इस करामत से आपके वसीअ इल्मे ग़ैब का पता चलता है कि किस तरह किस के ख़्यालात पर आप आगाही रखते हैं और किसी के दिल में जो ख़्वाहिश पैदा होती है उसे पूरी फ़रमाते हैं यह इल्म और तसर्रुफ़ का कमाल है।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 89*
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               *【पोस्ट न.= 25】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹बे वुज़ु होने की ख़बर देना🌹*


 *_शैख़ अबुल फ़रह बिन अल-हमामी रहमतुल्लाहि अलैहि का बयान है कि एक बार मुझे बग़दाद शरीफ़ के मोहल्लाह बाबुल अज़ज जाने की ज़रूरत पेश आई। वहां से वापसी पर सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि के मदरसे के करीब से गुज़रा तो अस्र की नमाज़ का वक़्त था और वहां तकबीर कही जा रही थी। मुझे ख़्याल आया कि यहां नमाज़ भी अदा कर लूं और साथ ही हज़रत रहमतुल्लाहि अलैहि को सलाम भी अर्ज़ कर लूं जल्दी में मुझे बे वुज़ु होने का ख़्याल न रहा और उसी तरह जमाअत में शामिल हो गया। सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि जब नमाज़ से फ़ारिग हुए तो आपने मुझसे फ़रमाया कि ऐ फ़रज़न्द! तुम्हारी याद्दाश्त कमज़ोर है तुम ने इस वक़्त ऐसे ही नमाज़ पढ़ ली है। आपके इस फ़रमान के मतलब को मैं समझ गया और मुझे बहुत ताज्जुब हुआ क्योंकि आपको मेरे छुपे हुए हाल का इल्म था।_*

 *📚 सीरत ग़ौसुस सक़लैन, सफ़ह 148*

तशरीहः-  *_इस करामत से आप रहमतुल्लाहि अलैहि के इल्मे ग़ैब का कमाल ज़ाहिर होता है कि एक छुपी बात जो कि कमज़ोर याद्दाश्त की वजह से उस आदमी के भी ख़्याल में न थी, वह भी आपने जान ली और बता दिया।जब आप रहमतुल्लाहि अलैहि उस शख़्स के बे वुज़ु होने को जानते थे तब आप उसके दूसरे हालात व मामलात से कैसे ला इल्म रह सकते थे। और यह भी मालूम हुआ कि आप रहमतुल्लाहि अलैहि के पीछे जो लोग नमाज़ पढ़ रहे थे उन सबके हालात से वाक़िफ़ थे अलबत्ता एक शख़्स का हाल इसलिए ज़ाहिर कर दिया कि उसका ताल्लुक नमाज़ से था ताकि उसका इज़ाला किया जा सके।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 90*
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               *【पोस्ट न.= 26】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹अमानत में ख़्यानत की ख़बर देना🌹*


 *_शैख़ अबु बक्र तमीमी एक मर्तबा हज की नियत से मक्का मुकरमा जा रहे थे रास्ते में एक जीलानी मुसाफ़िर का साथ हो गया। रास्ते ही में वह आदमी सख़्त बीमार हो गया यहां तक कि उसे अपने मरने का यक़ीन हो गया। चुनांचे उस ने दस दीनार शैख़ अबू बक्र को दिए और वसीयत की कि जब बग़दाद वापस जाएं तो यह सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि की ख़िदमते अक़दस में पेश कर देना और उनसे दरख़्वास्त करना कि मेरे लिए दुआए मगफ़िरत करें इसके बाद वह मर गया।_*

 *_हज के बाद जब शैख़ अबू बक्र बग़दाद वापस आए तो उनकी नियत बदल गई और उसकी अमानत अपने पास रख ली एक दिन वह कहीं जा रहे थे कि रास्ते में सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतल्लाहि अलैहि से मुलाक़ात हो गई। और आपने शैख़ अबू बक्र रहमतुल्लाहि अलैहि का हाथ पकड़ा और ज़ोर से दबाया और फ़रमाया अबू बक्र! तुम दस दीनार की ख़ातिर खुदा के ख़ौफ को भूल गये। आपका यह इर्शाद सुनकर अबू बक्र पर लरज़ा तारी हो गया और वह दौड़े हुए घर गये और दस दीनार सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि की ख़िदमत में लाकर पेश कर दिए।_*

 *📚 क़लाइदुल जवाहर, सफ़ह 19*

तशरीहः-  *_इस करामत से आपके वसीअ इल्मे ग़ैब का पता चलता है कि आपको इस अमानत का इल्म था जो मुसाफ़िर ने शैख़ अबू बक्र को सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि के हवाले करने की वसीयत की थी।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 91*
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               *【पोस्ट न.= 27】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹लम्बी उम्र की ख़बर देना🌹*


 *_शैख़ अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद रहमतुल्लाहि अलैहि बयान करते हैं कि में सय्यिदी अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि का ख़ादिम था और आप मुझे शफ़क़्क़त से मुहम्मद तवील कहकर पुकारा करते थे। एक दिन मैंने अर्ज़ किया कि मैं तो लोगों से छोटा हूं, तो आपने फ़रमाया तुम लम्बी उम्र वाले और लम्बे सफ़र वाले हो। चुनांचे जैसा कि हज़रत शैख़ रहमतुल्लाहि अलैहि ने फ़रमाया उसी तरह हुआ शैख़ अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद की उम्र एक सौ सैंतीस (137) साल हुई और उन्होंने दूर दराज़ के मुल्कों यहां तक की कोहे काफ़ तक के सफ़र किए और सैर की।_*

 *📚 सीरत ग़ौसुस सक़लैन, सफ़ह 144*

तशरीहः-  *_इस करामत से सय्यिदिना अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि के इल्मे ग़ैब का पता चलता है कि आने वाले वाक़िआत व हालात का पता देते हैं। सय्यिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम शफ़क़्क़त से कुछ सहाबा को अल्क़ाब से नवाज़ते थे और सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हम उस लक़्ब को अपने नाम से ज़्यादा पसन्द करते थे कि वह सय्यिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का रखा हुआ होता था। जैसे हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को अबू तुराब फ़रमाया क्योंकि एक बार हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु बग़ैर कमीज़ के मिटी पर लेटे हए थे और आपकी पीठ पर मिट्टी लग गई उस हालत में कि सय्यिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाए और मिट्टी लगी देखकर फ़रमाया, ऐ अबू तुराब! क्या हाल है।_*

 *_ऐसा ही एक लक़्ब एक सहाबी हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को अता फ़रमाया यानी बिल्ली के बाप, क्योंकि वह बिल्ली को बहुत पसन्द करते थे और अक्सर उठाये फिरते थे। आपका लक़्ब इतना मशहूर हुआ कि लोग आपके असली नाम को नहीं जानते और हदीसों की किताबों में तमाम रिवायत जो आपसे जुड़ी हैं अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ही इस्तेमाल हुआ है आपका असली नाम अब्दुल्लाह था। तो सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि का शैख़ अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद रहमतुल्लाहि अलैहि को तवील के लक़्ब से पुकारना मुहब्बत की वजह से था और इसलिए भी कि आपकी उम्र बहुत लम्बी होनी थी।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 92• 93*
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               *【पोस्ट न.= 28】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹टोपी की ठंडक और बरकत🌹*


 *_हज़रत शैख़ अबू अमर सरीफ़ीनी फ़रमाते हैं कि एक बार में सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की ख़िदमते अक़दस में हाज़िर हुआ तो आपने मुझसे फ़रमाया कि बहुत जल्द अल्लाह तआला तुम्हें एक मुरीद अता करेगा जिसका नाम अब्दुल ग़नी बिन नुक़्त होगा। उसकी वजह से अल्लाह तआला मलाइका पर फ़ख़्र  करेगा उसके बाद आपने अपनी टोपी मेरे सर पर रख दी, टोपी रखने की खुशी और ठंडक मेरे दिमाग़ में ऐसी पहुंची कि दिमाग से दिल तक उतर गई और मुझ पर आलमे मलकूत का हाल वाजेह हो गया। मैंने देखा कि यह दुनिया और इस दुनिया में जो कुछ मौजूद है वह सब अल्लाह तआला का तस्वीह कर रहा है।_*

 *📚 बहजतुल असरार, सफ़ह 117*

तशरीहः-  _*सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतल्लाहि अलैहि के क़दमों की ख़ाक औलिया अल्लाह की आँखों का सुरमा है जैसा कि एक मन्क़बत में ख़्वाजा बख़्तियार काकी रहमतुल्लाहि अलैहि ने फ़रमाया है कि।* आपके पैरों की ख़ाक अहले नज़र की रौशनी है, तो क्यों न आपकी मुबारक टोपी दिल व दिमाग़ की ठंडक और मुशाहिदात की वजह बने। *जब आपने एक अक़ीदतमन्द को अपनी कमीज़ अता की तो फ़रमाया यह सेहत व आफ़ियत का लिवास है लिहाज़ा 65 साल तक उन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं हुई और ज़िन्दगी आफ़ियत से गुजरी। आपके जिस्मे अक़दस से छूने वाली किसी भी चीज़ की बरकत का अंदाज़ा ही नहीं लगाया जा सकता। जब आपके मदरसे की घास और पानी इस्तेमाल करने से ताऊन की बीमारी से छुटकारा मिलता है और जो बीमारी से पहले इस्तेमाल करे वह इन बीमारियों से महफूज़ रहता है तो सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि के जिस्मे अक़दस से छने वाली टोपी का क्या कहना।*_

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 96•97*
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               *【पोस्ट न.= 29】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹अम्बिया, सहाबा और औलिया की ज़ियारत करवाना🌹*


 *_हज़रत मुहम्मद अहमद बलख़ी रहमतल्लाहि अलेहि से नक़ल है कि आप फ़रमाते हैं कि जवानी के दिनों में हज़रत सय्यिद अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाहि अलैहि की ज़ियारत के लिए बलख़ से बग़दाद आया, आप नमाज पढ़ रहे थे। जब आपने सलाम फेरा तो लोग आपकी तरफ सलाम और मुसाफ़े के लिए दौड़े मैंने आगे बढ़कर मुसाफ़ा किया, आपने मेरा हाथ पकड़ा और मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा और फ़रमाया, मरहबा। ऐ मुहम्मद ए बलख़ी! आपने मेरी तरफ तवज्जो की जिससे मेरा दिल शौक़ व मुहब्बत से भर गया। मेरा नफ़्स लोगों से घबराने लगा मेरे दिल में ऐसा हाल पैदा हो गया जिसका बयान मुम्किन नहीं एक रात वज़ीफ़े के लिए खड़ा हुआ तो मेरे दिल से लोग ज़ाहिर हुए एक के हाथ में शराबे मुहब्बत और दूसरे के हाथ में ख़िलअत थी। दूसरे आदमी ने कहा कि मैं अली इब्ने अबी तालिब हूँ, यह ख़िलअते रज़ा है और यह मुक़र्रब फरिश्ता मुहब्बत का जाम लिए हुए है फिर वह ख़िलअत आपने मुझे पहना दी और आपके साथी ने प्याला पिलाया।_*

 *_फिर मैंने अपने आपको बारगाहे रिसालत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम में पाया, आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के दाएं तरफ हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम और जिब्रील अलैहिस्सलाम थे। और बाएं तरफ हज़रत नूह अलैहिस्सलाम, हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम थे। आपके सामने सहाबा और औलिया अदब से खड़े थे सहाबा में सबसे नज़दीक हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रदियल्लाहु तआला अन्हु और औलिया में सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतल्लाहि अलैहि थे। फिर मेरे लिए क़ुदसे आज़म से नूर की एक तजल्ली ज़ाहिर हुई, जिसने मुझे हर चीज़ से गायब कर दिया। इस हाल में तीन साल रहा, मुझे किसी चीज़ का होश न रहा अचानक एक रोज़ देखा कि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतल्लाहि अलैहि मेरे सीने को थामे हुए हैं। आपका एक क़दम मुबारक मेरे पास और एक बग़दाद शरीफ में है फिर फ़रमाया मुझे हुक़्म हुआ है कि तुझको तेरे वजूद की तरफ लौटा दूं। तेरे हाल का तुझे मालिक बना दूं और तुझ से वह चीज़ ले लूं जिसने तुझे मग़लूब कर रखा है तब मेरी अक़ल लौट आई और अपने अम्र का मालिक हुआ फिर आपने मेरे तमाम अहवाल और मुशाहदात की खबर दी फिर फ़रमाया कि ऐ फ़रजन्द अब तो तमाम छुटे हुए फर्ज़ अदा कर।_*

 *📚 बहजतुल असरार, सफ़ह 101*

तशरीहः-  *_इस करामत से सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि के इल्मे ग़ैब और तसर्रुफ़ का पता चलता है आपकी एक तवज्जो से इब्ने अहमद बलख़ी के दिल की दुनिया ही बदल गई। ख़्वाब में सय्यिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और दूसरे बुज़ुर्गों की ज़ियारत हुई और फिर ज़्यादा तजल्लियात और वारदात की वजह से वोह अपने आप से गायब होने लगे। तब सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि उन सब कैफ़ियात से बाख़बर होने की वजह से अपने ज़्यादा तसर्रुफ़ से उनको एक ऐसे हाल की तरफ लौटा दिया जिसमें कि वोह अपने वजूद से गायब भी न रहे और तजल्लियात व मुशाहिदात उनकी बर्दाश्त की हद तक होने लगे। सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि ने फ़रमाया है कि विलायत और इसके दरजात मेरे पास कपड़ों की तरह टंगे हए हैं जिसका लिबास चाहता हूँ पहना देता हूं इसलिए अक़ीदत व मुहब्बत से आपकी बारगाह में हाज़िर होने वाला इन नेमतों से महरूम नहीं रह सकता।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 97• 98• 99*
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               *【पोस्ट न.= 30】*
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 _*【💞करामत_ए_ग़ौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु💞】*_

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 *🌹शैख़ अहमद रिफ़ाई की ज़ियारत करवाना🌹*


 *_शैख़ मुहम्मद बिन ख़िज़्र रहमतुल्लाहि अलैहि फ़रमाते हैं कि मैंने अपने वालिद बुज़ुर्गवार से सना है कि वह कहते हैं कि मैं एक मर्तबा जबकि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर था। अचानक मुझे शैख़ अहमद रिफ़ाई रहमतुल्लाहि अलैहि की ज़ियारत का दिल में ख़्याल आया तो आपने फ़रमाया कि ऐ ख़िज़्र! लो शैख़ अहमद रिफ़ाई रहमतुल्लाहि अलैहि की ज़ियारत कर लो। मैंने नज़र उठाकर आपकी आस्तीन की तरफ देखा तो एक जी वकार बुज़ुर्ग नज़र आए।_*

 *_मैंने उठकर सलाम अर्ज़ किया उन्होंने मुझसे कहा ऐ ख़िज़्र! जो शहंशाह औलिया की ज़ियारत से मुशर्रफ़ हो उसको मेरी ज़ियारत की क्या हाजत यह फ़रमाकर वह मेरी नज़रों से गायब हो गए। सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की मजलिस से फ़ारिग होने के बाद मैं जब शैख़ अहमद रिफ़ाई रहमतुल्लाहि अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर हुआ तो बिल्कुल वही सूरत थी जो मैंने सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि की आस्तीन के पास देखी शैख़ अहमद रिफ़ाई रहमतुल्लाहि अलैहि ने मुझसे फ़रमाया तुझको मेरी पहली मुलाकात काफ़ी नहीं हुई।_*

 *📚 क़वाइदुल जवाहर, 222*

तशरीह:-  *_मालूम हुआ कि सय्यिदिना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि शैख़ मुहम्मद बिन ख़िज़्र के वालिद बुज़ुर्गवार के दिल की बात को जान गए। और आपकी ख़्वाहिश भी पूरी कर दी और शैख़ अहमद रिफ़ाई रहमतुल्लाहि अलैहि के पास ही ज़ियारत करवा दी और दराज़ के सफ़र से बचा लिया।_*

 *📚 करामते ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि, सफ़ह 100*
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