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*🥀पोस्ट नम्बर(01)🥀*

👉मुसलमान के लिए सबसे पहले और ज़रूरी बात यह है कि वह पाक व साफ़ रहे।

✨सफ़ाई सिर्फ़ बदन या कपड़ों की सफ़ाई के लिए नहीं है बल्कि इसके साथ-साथ अपने आपको गुनाहों से, बुरे ख़्यालात और बुरी आदतों से भी पाक व साफ़ करना है।

👕कपड़ों और बदन को निजासत (गंदगी) से दूर रखकर पाकी हासिल करना है ताकि नमाज़ और दूसरी इबादतें सही तरह से अदा कर सकें। अपने हाथ, पाँव, ज़ुबान और आँखों वग़ैरा को गुनाहों और ग़लत इस्तेमाल से बचाना यानि ग़ीबत (दूसरों की बुराई), झूठ, हराम ख़ोरी, बेईमानी, नामहरमों को देखना और तमाम नाजाइज़ या हराम कामों से अपने आप को बचा कर रखना। हसद, ग़ुरूर, रिया (दिखावा) और बुग़्ज़ वग़ैरा जैसे बुरे अख़लाक़ और आदतों को अपने दिल से निकालकर उसमें अच्छे अख़लाक़ और आदतें जैसे तौबा, मुहब्बत, सब्र, शुक्र, क़नाअत (जो कुछ मिला है उसको ही काफ़ी समझना), ख़ुदा का ख़ौफ़, तवाज़ेह (छोटे बड़े की इज़्ज़त और एहतराम करना) और सच को अपने दिल में बसाना।

👉🏿हालांकि यह बहुत मुश्किल काम है लेकिन नामुमकिन नहीं। मुसलमान के लिए यह ज़रूरी है कि वह पहले दर्जे से सफ़ाई और पाकी की शुरूआत करे और फिर आगे की मंजि़लें तय करना शुरू करे और आख़िरी दर्जा हासिल करने की कोशिश करें।
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*🥀पोस्ट नम्बर(02)🥀*

*⤵Topic:- ज़ाहिरी गन्दगी से पाकी (इस्तन्जा और उसके आदाब)*

मुसलमान के लिए सबसे पहले और ज़रूरी बात यह है कि वह पाक व साफ़ रहे।

✨अपने जिस्म को पाक व साफ़ करने, पाख़ाना या पेशाब करने से जो निजासत जिस्म पर लगी रह जाती हैं, ऐसी निजासत (गंदगी) से अपने बदन को पाक व साफ़ करने को इस्तन्जा करना कहते हैं। इसके लिए बेहतर और सुन्नत तरीक़ा तो यह है कि पहले तीन या उससे ज़्यादा ताक़ (odd) मिट्टी के ढेले लेकर निजासत को अच्छी तरह साफ़ करलें और फिर पानी से तीन बार धोलें सिर्फ़ पानी ही से धो लिया तो भी जाइज़ है।

👉🏿इस्तन्जा करने में इन बातों का ख़ास ख़्याल रखें।

🌷दाहिने हाथ से पानी बहायें और बायें हाथ से धोयें और पानी का बर्तन ऊँचा रखें कि छींटें न पड़ें, पहले पेशाब की जगह धोयें फिर पाख़ाने की और गदंगी साफ़ होने के बाद पाक करने के लिए तीन बार धोकर हाथ से पोंछ लें।

★काग़ज़ से इस्तिन्जा करना मना है चाहे उस पर कुछ लिखा हुआ हो या नहीं।

◆जिस ढेले से एक बार इस्तिन्जा कर लिया उसे दोबारा काम में लाना मकरुह है।

■ मर्द लुंजा हो तो उसकी बीवी इस्तिनजा करा सकती है और औरत कोे उसका शौहर।
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*🥀पोस्ट नम्बर(03)🥀*

*⤵Topic:- ज़ाहिरी गन्दगी से पाकी (बैतुलख़ला (Toilet) के आदाब)*

🚽इस्तिन्जे के लिए बैतुलख़ला (Toilet) में जाने के लिए भी इस्लाम में आदाब बताए गए हैं जो इस तरह हैं।

👉जब बैतुलख़ला (Toilet) को जाये तो मुस्तह़ब है कि पहले बाहर यह दुआ पढ़ ले

*اَللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ الْخُبْثِ وَالْخَبَائِث*

*तर्जुमा:-* "ऐ अल्लाह मैं तेरी पनाह मांगता हूँ नापाकी और शैतानों से।"

👣फिर बायाँ पाँव पहले अंदर रखें और निकलते वक़्त पहले दाहिना पाँव बाहर निकाले और बाहर निकल कर यह पढ़ें:-

*اَلْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَذْهَبَ عَنِّيِ الْأَذٰى وَعَافَانِيۡ*

*तर्जुमा:-* "सब तारीफ़ें हैं अल्लाह के लिये जिसने वह चीज़ मुझसे दूर की जो तकलीफ़ देती और मुझे आराम दिया।"

*Note:- दोनों दुआ जो उपर लिखी गई है toilet के बाहर ही पढे।*
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*🥀पोस्ट नम्बर(04)🥀*

*⤵Topic:- ज़ाहिरी गन्दगी से पाकी (बैतुलख़ला (Toilet) के आदाब)*

🚽जब बैतुलख़ला (Toilet) को जाएं तो इन बातों का ख़्याल रखना बहुत ज़रूरी है।

⚠क़िबले की तरफ़ मुँह और पीठ करके न बैठें चाहे अन्दर हो या बाहर और अगर भूले से बैठ गये तो याद आते ही फ़ौरन रुख़ बदल दें।

👨‍👦बच्चे को पाख़ाना, पेशाब कराने वाला भी यह ख़्याल रखें कि बच्चे का मुँह क़िबले को न हो, नहीं तो कराने वाला गुनाहगार होगा।

🌳हवा के रुख़ पेशाब न करें और उसकी छीटों से बचें, यह अज़ाबे क़ब्र का बाइस हो सकता है।

🌊कुँए, हौज़ या चश्में के किनारे/बहते पानी/घाट/फलदार या सायादार पेड़ के नीचे/खेत जिसमें फ़सल हो/मस्जिद या ईदगाह के क़रीब/क़ब्रिस्तान/पालतू जानवरों के बंधने की जगह, इन सब जगहों में पेशाब पाख़ाना करना मकरुह है।
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*🥀पोस्ट नम्बर(05)🥀*

*⤵Topic:- ज़ाहिरी गन्दगी से पाकी (बैतुलख़ला (Toilet) के आदाब)*

🚽जब बैतुलख़ला (Toilet) को जाएं तो इन बातों का ख़्याल रखना बहुत ज़रूरी है।

🚰जिस जगह वुज़ू या गु़स्ल किया जाता हो वहाँ पेशाब करना मकरुह है।

👤नंगे सिर बैतुलख़ला (Toilet) में जाना या अपने साथ कोई ऐसी चीज़ ले जाना जिस पर कोई दुआ या अल्लाह और रसूल या किसी बुज़ुर्ग का नाम लिखा हो मना है। बात करना भी मकरुह है।

🚫जब तक बैठने के करीब न हो बदन से कपड़ा न हटाये और ज़रूरत से ज़्यादा बदन न खोलें

🗣छींक या सलाम या अज़ान का जवाब ज़ुबान से न दे।
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*🥀पोस्ट नम्बर(06)🥀*

*⤵Topic:- ज़ाहिरी गन्दगी से पाकी* *(जिस्म की फ़ालतू चीजों से पाकी)*

📚इसमें हम उन चीज़ों का ज़िक्र करेंगे जो नापाक तो नहीं होती मगर सही तरह से पाकी हासिल करने में रुकावट पैदा करती हैं। कभी-कभी तो इन चीज़ों की वजह से वुज़ू और ग़ुस्ल भी सही नहीं हो पाता जिससे इबादतें बर्बाद हो सकती हैं। लिहाज़ा इस पर ध्यान देना ज़रूरी है। यह तीन (3) तरह की होती हैं।

*1⃣ मैल:-* सिर और दाढ़ी के बालों में जमा होने वाले मैल और जुओं का साफ़ करना मुस्ताहिब है। इनकी सफ़ाई के लिये बालों को धोने, तेल लगाने और कंघा करने का हुक्म है।

👂इसी तरह कानों, दाँतों और नाख़ूनों वग़ैरा में जो मैल जम जाता है उसे साफ़ करना भी बहुत ज़रूरी है क्योंकि जमे हुए मैल से सिर्फ़ सही तरह से पाकी हासिल करने में ही रुकावट नहीं आती बल्कि तरह-तरह की बीमारियाँ होने का भी ख़तरा रहता है।
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*🥀पोस्ट नम्बर(07)🥀*

*⤵Topic:- ज़ाहिरी गन्दगी से पाकी* *(जिस्म की फ़ालतू चीजों से पाकी)*

📚इसमें  हम उन चीज़ों का ज़िक्र कर रहे हैं जो नापाक तो नहीं होती मगर सही तरह से पाकी हासिल करने में रुकावट पैदा करती हैं। यह तीन (3) तरह की होती हैं।

*2⃣ रतूबतें:-* हमारी नाक और आँखों से ऐसी रतूबतें निकलती हैं जो सूख कर नथनों में या आँखों के कोए में जम जाती हैं जिस की वजह से वुज़ू और ग़ुस्ल सही नहीं होते।

*3⃣ फ़ालतू चीज़े जैसे बढ़े हुए नाख़ून और बाल वग़ैरा:-* बदन में बढ़ी हुई फ़ालतू चीज़ें जिन की वजह से नापाकी या जनाबत दूर नहीं हो पाती उनसे निजात हासिल करने के लिये यह काम ज़रूरी हैं।

(1) सिर के बाल कटवाना/कतरवाना।

(2) मूँछों के बाल कतरवाना।

(3) बग़लों के बाल साफ़ करना ।

(4) नाफ़ के नीचे के बाल साफ़ करना।

(5) नाख़ून काटना।

(6) ख़तना कराना।

(7) दाढ़ी के बाल एक मुट्ठी से ज़्यादा को कतरवाना।
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*🥀पोस्ट नम्बर(08)🥀

*⤵Topic:- ज़ाहिरी गन्दगी से पाकी* *(जिस्म की फ़ालतू चीजों से पाकी)*

*💇🏻‍♂सिर के बालों के बारे में:-* शरई हुक्म यह है कि बाल रखना भी जाइज़ है और कटवाना भी। लेकिन बालों का कटवाना यानि मुँडवाना अफ़ज़ल है और अगर बाल रखे जाएं तो शरीफ़़ों वाले। कोई भी मर्द औरतों की तरह बाल न रखे और ऐसे ही न कोई औरत मर्दों की तरह बाल कटवाये।

*मूँछोे के बाल:-* मूँछोे के बालों के लिये हुक्म है कि मूँछे कतरवाओ और दाढ़ियां बढ़ाओ और मूँछों को मूँडना नहीं है लेकिन मूँछों को कतरवाने में ज़्यादती करनी चाहिये, मूँछों के कतरवाने मे होंठों के ऊपर का हिस्सा लिया जाता है और मूँछों के दोनों तरफ़ के बाल बढ़ाने में कोई हर्ज नहीं।

*बग़लों और नाफ़ के नीचे के बाल:-* बग़लों और नाफ़ के नीचे के बाल साफ़ करने के लिये बेहतर यह है कि हर आठवें दिन यानि जुम्मे को जब ग़ुस्ल करें तो इन बालों को भी उस्तरे (Razor) से साफ़ कर लें। इन बालों को साफ़ करने की मुद्दत किसी भी हाल में चालीस (40) दिन ये ज़्यादा नहीं होनी चाहिये।
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*🥀पोस्ट नम्बर(09)🥀*

*⤵Topic:- ज़ाहिरी गन्दगी से पाकी*
  *(जिस्म की फ़ालतू चीजों से पाकी)*

*💧नाख़ून.:-* नाख़ून काटने के लिये भी यही बेहतर है कि हर आठवें दिन दोनों हाथों और पैरों की उँगलियों के नाख़ून काट लेने चाहियें ताकि इसमें मैल या कोई ऐसी चीज़ न फंस जाये जो वुज़ू या ग़ुस्ल करने मे रुकावट बने। मैल अगर वुज़ू/ग़ुस्ल के लिये रुकावट न भी हो लेकिन सेहत के लिये तो ख़तरनाक होता ही है.!

*👉ख़तना.:-* ख़तना सुन्नत है और इस्लामी पहचान है ख़तना का मतलब यह है कि मर्द के आला-ए-तनासुल (लिंग) पर आगे की तरफ़ जो फ़ालतू खाल होती है उसे काट दिया जाता है। ख़तना बच्चे के बालिग होने से पहले-पहले कर  दिया जाये तो बेहतर है यहूदी अपने बच्चों की पैदा होने के सातवें दिन ख़तना करा देते थे लिहाज़ा उनकी मुख़ालफ़त की वजह से थोड़ा इंतज़ार करना बेहतर है कि आगे के दाँत निकल आयें। बाज़ उलमा ने पैदाइश के सातवें दिन कराना भी जाइज़ बताया है। अगर बच्चा ख़तना हुए पैदा हुआ तो ख़तना की ज़रूरत नहीं। कोई बूढ़ा आदमी ईमान लाया और उसमें ख़तना कराने की ताक़त नहीं तो ख़तना की ज़रूरत नहीं।
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*🥀पोस्ट नम्बर(10)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू*
    *( वुज़ू की ज़रूरत और फ़जीलत )*

🚰 नमाज़ के लिये वुज़ू ऐसी ज़रूरी चीज़ है कि इसके बिना नमाज़ होती ही नहीं बल्कि जान बूझ कर बग़ैर वुज़ू नमाज़ अदा करने को उलमा कुफ़्र लिखते हैं। यह इसलिए कि उस बेवुज़ू या बेग़ुस्ल नमाज़ पढ़ने वाले ने इबादत की बेअदबी और तौहीन की। साथ ही कुछ दूसरी इबादतें भी वुज़ू के बिना नहीं की जा सकती। लिहाज़ा मुसलमान होने के नाते वुज़ू के बारे में पूरी जानकारी होना हम पर फ़र्ज़ है।

*🕌"जन्नत की कुंजी नमाज़ है और नमाज़ की कुंजी तहारत है।"*
क़ुरआन और हदीस मे वुज़ू के बहुत से फ़ज़ाइल बयान हुए हैं। अल्लाह तआला फ़रमाता है:-
*"ऐ ईमान वालो जब नमाज़ को खड़ा होना चाहो तो अपना मुँह धो और कोहनियों तक हाथ और सिरों का मसह करो और गट्टों तक पैर धो.!"*
*📚सूरह अल माईदा, आयत 6*
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*🥀पोस्ट नम्बर(11)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू*
    *(वुज़ू की फ़जीलत़ में कुछ अहादीस)*

📔हुज़ूरे अक़दस सलल्ललाहु अलैह वसल्लम इरशाद फ़रमाते हैं:-

🥀क़यामत के दिन मेरी उम्मत इस हालत में बुलाई जायेगी कि उनके आअज़ा मुँह, हाथ और पैर, वुज़ू की वजह से चमकते होंगे।

🥀जब भी कोई शख्स अच्छी तरह वुज़ू करता है और (खुलूस के साथ) नमाज़ पढ़ता है तो उसके एक नमाज़ से दूसरी नमाज़ पढ़ने तक के गुनाह माफ कर दिये जाते है।
*📚बुख़ारी शरीफ*
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*🥀पोस्ट नम्बर(12)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू की फ़जीलत़*

📔क़ुरआन पाक और अहादीस में बयान किए गए वुज़ू के फ़ज़ाइल पढ़ने के बाद वुज़ू की अहमियत और इस से हासिल होने वाले अज्र और सवाब का बख़ूबी अंदाज़ा लगाया जा सकता है और जो शख़्स हमेशा बावुज़ू रहता है तो अल्लाह तआला उसे सात ख़सलतों की इज़्ज़त बख़्शता है।

1⃣ फ़रिश्ते उनके साथ रहना पसंद करते हैं।
2⃣ आमाल लिखने वाले फ़रिश्ते उसका सारा वक़्त इबादत में लिखते रहते हैं।
3⃣ बदन के तमाम हिस्से तस्बीह करते हैं।
4⃣ जमाअत में उसकी पहली तकबीर कभी नहीं छूटती।
5⃣ फ़रिश्ते उसकी हिफ़ाज़त करते हैं।
6⃣ अल्लाह तआला जान निकलने के वक़्त की मुश्किल को आसान फ़रमाता है।
7⃣ जब तक वुज़ू रहे अल्लाह तआला की अमान में रहता है।
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*🥀पोस्ट नम्बर(13)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू के दुनियावी फ़ायदे*

🚰 वुज़ू के बारे में अब तक कि पिछली पोस्ट मे जो कुछ फ़ज़ाइल (गुण) बताये गये हैं, उनसे वह फ़ायदे पता चलते हैं जो हमें आख़िरत में हासिल होंगे और एक मुसलमान होने के नाते यही हमारी ज़िंदगी का मक़सद भी है लेकिन इसके अलावा दुनियावी फ़ायदे भी बेशुमार हैं यहाँ आप की जानकारी के लिये कुछ का ज़िक्र कर रहे हैं लेकिन एक बात ध्यान में रखनी ज़रूरी है कि वुज़ू हमेशा इसी नीयत से करें कि अल्लाह के हुक्म से वुज़ू कर रहें हैं न कि दुनियावी फ़ायदे के लिये क्योंकि उसका हुक्म मानने से जो नेअमतें और बरकतें हासिल होती हैं वह और किसी से नही मिलती।

🚰 वुज़ू में जिस्म के उन हिस्सों को धोने और साफ़ करने का हुक्म है जो अक़्सर खुले रहते हैं और बाहर की धूल, मिट्टी और जरासीम (कीटाणु) उन पर लगते रहते हैं जिसकी वजह से तरह-तरह की बीमारियाँ पैदा होती हैं। दिन में पाँच बार वुज़ू करके इन ख़तरनाक बीमारियों से बचा जा सकता है। अब हम वुज़ू के अलग-अलग अरकान (Steps) के दुनियावी फ़ायदों का ज़िक्र करते हैं।
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*🥀पोस्ट नम्बर(14)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू के दुनियावी फ़ायदे*

*🚰 अब हम वुज़ू के अलग-अलग अरकान (Steps) के दुनियावी फ़ायदों का ज़िक्र करते हैं।*
*1⃣ हाथ धोनाः-* दिनभर हाथों मे तरह-तरह की गंदगी और जरासीम (Germs) के लगने से बहुत सी बीमारियाँ जैसे नज़ला, आई फ्लू, दमा, इनफ्लूएंज़ा, हैज़ा और हैपेटाइटिस (ए) वग़ैरा होने का ख़तरा बना रहता है। वुज़ू में हाथों को तीन-तीन बार अच्छी तरह धोने का हुक्म है यहाँ तक कि उंगलियों के बीच घाईयों को भी अच्छी तरह धोने को कहा गया है और जब दिन में पाँच बार यह अमल किया जाये तो हाथों में गंदगी या जरासीम के रहने का कोई मतलब ही नहीं रहता।

*2⃣ कुल्ली करनाः-* वुज़ू में तीन बार कुल्ली करने से मुँह और दाँतों में फँसे हुए खाने के ज़र्रे(particles) बाहर आ जाते हैं और मुँह साफ़ हो जाता है अगर यह ज़र्रे साफ़ न हों तो सड़ने लगते हैं जिससे बहुत सी बीमारियाँ होने लगती है। आज डाक्टर दिन में दो बार दाँतों में ब्रुश करने को कहते हैं लेकिन दीने इस्लाम तो चौदह सौ साल पहले से दिन में पाँच बार दाँतों में ब्रुश यानि मिस्वाक करने का हुक्म देता है और ब्रुश से तो सिर्फ़ सफ़ाई ही होती है लेकिन मिस्वाक के तो और भी बहुत से फ़ायदे हैं जिनमें से कुछ हम मिस्वाक के बयान में ज़िक्र करेंगे। कुल्ली करते में ग़रारे (Gargles) करने का भी हुक्म है जिससे टानसिल्स और गले का कैंसर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।
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*⤵Topic:- वुज़ू के दुनियावी फ़ायदे*

*🚰 अभी हम वुज़ू के अलग-अलग अरकान (Steps) के दुनियावी फ़ायदों का ज़िक्र कर रहे हैं।*
*3⃣ नाक में पानी चढ़ानाः-* अच्छी सेहत के लिये हमारे फेफड़ों को साफ़ सुथरी हवा चाहिये जो हमें नाक से साँस लेने से मिलती है, नाक में पानी चढ़ाने से एक तो बाहर से आये धूल के ज़र्रे और जरासीम (जो नाक के बालों में फँस जाते हैं) धुल जाते हैं और साफ़ सुथरी हवा अंदर जाती है और दूसरा इसका सबसे ख़ास फ़ायदा यह होता है कि नाक मे एक माइक्रोस्कोपिक ब्रुश होता है जिसमे दिखाई न देने वाले रेशे (Bristles) होते हैं जो बाहर से हमला करने वाले माइक्रोस्कोपिक जरासीम (Germs) को ख़त्म कर देते है इसके अलावा दिमाग़ के निज़ाम को चलाने के लिये जि़म्मेदार Lysozium System भी इन रेशों के ज़रिये ही काम करता है और नाक में पानी डालने से पानी में मौजूद Electric Rays इन रेशों (Bristles) को ताक़त पहुँचाती हैं। इसलिये वुज़ू में नाक में पानी डालने से बहुत सी पेचीदा (Critical) बीमारियों से बचाव होता है। नाक में पानी डालना दिमाग़ी वायरस का भी बेहतरीन इलाज बताया गया है।
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*🥀पोस्ट नम्बर(16)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू के दुनियावी फ़ायदे*

*🚰 अभी हम वुज़ू के अलग-अलग अरकान (Steps) के दुनियावी फ़ायदों का ज़िक्र कर रहे हैं।*
*4⃣ चेहरा धोनाः-* आमतौर पर चेहरा खुले रहने की वजह से आसपास की धूल, गंदगी और तरह-तरह के केमिकल्स हमारे चेहरे और आँखों पर लग जाते हैं जिसकी वजह से बहुत सी ख़तरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं मिसाल के लिये आँखों की एक बीमारी है जिसमे आँखों का पानी सूखने लगता है और फिर इंसान अंधा हो जाता है। डाक्टर इस बीमारी से बचने के लिये भँवों को बार-बार भिगोने की सलाह देते हैं लेकिन वुज़ू करने में भँवें भीगती ही हैं लिहाज़ा वुज़ू से इस ख़तरनाक बीमारी से भी बचाव होता है।

*5⃣ मसह करनाः-* वुज़ू में सिर, कान और गर्दन का मसह किया जाता है। इससे दिमाग़, रीढ़ की हड्डी और कानों की बहुत सी ख़तरनाक बीमारियाँ जैसे सरवाइकल, लू (Sun Stroke), गर्दन का बुख़ार और पागलपन वग़ैरा से बचा जा सकता है। मसह करने से आसाबी निज़ाम (Nervous System) को भी ताक़त मिलती है।

*6⃣ पाँव धोनाः-* वुज़ू में पाँवों को टख़नो समेत अच्छी तरह धोने का हुक्म है यहाँ तक कि उंगलियों के बीच की घाईयाँ भी जो ज़रा सी सूखी रह जायें तो वुज़ू नहीं होता। आज रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि पाँव धोने और उंगलियों का ख़िलाल करने से डिप्रेशन, नींद की कमी, दिमाग़ की ख़ुश्की और थकान वग़ैरा से छुटकारा हासिल किया जा सकता है।
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*⤵Topic:- वुज़ू के दुनियावी फ़ायदे*

*🚰 अभी हम वुज़ू के अलग-अलग अरकान (Steps) के दुनियावी फ़ायदों का ज़िक्र कर रहे हैं।*
*4⃣ चेहरा धोनाः-* आमतौर पर चेहरा खुले रहने की वजह से आसपास की धूल, गंदगी और तरह-तरह के केमिकल्स हमारे चेहरे और आँखों पर लग जाते हैं जिसकी वजह से बहुत सी ख़तरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं मिसाल के लिये आँखों की एक बीमारी है जिसमे आँखों का पानी सूखने लगता है और फिर इंसान अंधा हो जाता है। डाक्टर इस बीमारी से बचने के लिये भँवों को बार-बार भिगोने की सलाह देते हैं लेकिन वुज़ू करने में भँवें भीगती ही हैं लिहाज़ा वुज़ू से इस ख़तरनाक बीमारी से भी बचाव होता है।

*5⃣ मसह करनाः-* वुज़ू में सिर, कान और गर्दन का मसह किया जाता है। इससे दिमाग़, रीढ़ की हड्डी और कानों की बहुत सी ख़तरनाक बीमारियाँ जैसे सरवाइकल, लू (Sun Stroke), गर्दन का बुख़ार और पागलपन वग़ैरा से बचा जा सकता है। मसह करने से आसाबी निज़ाम (Nervous System) को भी ताक़त मिलती है।

*6⃣ पाँव धोनाः-* वुज़ू में पाँवों को टख़नो समेत अच्छी तरह धोने का हुक्म है यहाँ तक कि उंगलियों के बीच की घाईयाँ भी जो ज़रा सी सूखी रह जायें तो वुज़ू नहीं होता। आज रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि पाँव धोने और उंगलियों का ख़िलाल करने से डिप्रेशन, नींद की कमी, दिमाग़ की ख़ुश्की और थकान वग़ैरा से छुटकारा हासिल किया जा सकता है।
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*🥀पोस्ट नम्बर(17)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू के फ़र्ज़ और सुन्नतें*

🚰 वुज़ू के दुनियावी फ़ायदे जानने के बाद अब पढ़ते हैं कि वुज़ू में क्या क्या फर्ज़ है और क्या क्या सुन्नते।

*✨फ़र्ज़:-* वुज़ू में चार फ़र्ज़ हैं, इनका ध्यान रखना बहुत ही ज़रूरी है अगर एक भी फ़र्ज़ रह गया या सही तरह से नहीं हुआ तो वुज़ू नहीं होगा और उसके बग़ैर नमाज़ भी नहीं हो सकती।

1- मुँह धोना यानि माथे पर बाल निकलने की जगह से ठोरी के नीचे तक और एक कान के किनारे से दूसरे कान के किनारे तक पूरा चेहरा इस तरह धोना कि बाल बराबर भी कोई जगह सूखी न रह जाए, वरना वुज़ू नहीं होगा।

2- कोहनियों समेत दोनों हाथों को धोना।
3- सिर का मसह करना यानि भीगा हुआ हाथ फेरना।
4- टख़नों समेत दोनों पाँवों का धोना।
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*🥀पोस्ट नम्बर(18)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू के फ़र्ज़ और सुन्नतें*
*वुज़ू के फ़राइज़ से मुताल्लिक़ ज़रूरी मसाइल:-*

*1⃣ मुँह धोना:-* शुरू पेशानी (यानि माथे पर जहां से बाल ख़त्म हो जाते हैं) से ठोढ़ी तक लंबाई में और चौड़ाई में एक कान से दूसरे कान तक मुँह है इस हद के अंदर जिल्द (skin) के हर हिस्सा पर एक बार पानी बहाना फ़र्ज़ है।

💡मूँछों, भवों या बुच्ची (यानी वो बाल जो नीचे के होंट और ठोढ़ी के बीच में होते हैं।) के बाल इतने घने हों कि खाल बिल्कुल ना दिखाई दे तो जिल्द का धोना फ़र्ज़ नहीं बालों का धोना फ़र्ज़ है और अगर इन जगहों के बाल घने ना हों तो जिल्द का धोना भी फ़र्ज़ है।

💡नथ का सुराख़ अगर बंद ना हो तो इस में पानी बहाना फ़र्ज़ है अगर तंग हो तो पानी डालने में नथ को हिला दे वर्ना ज़रूरी नहीं।

💡आँखों मे पलक का हर बाल पूरा धोना फ़र्ज़ है अगर इस में चीपड़ वग़ैरा कोई सख़्त चीज़ जम गई हो तो छुड़ाना फ़र्ज़ है।
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*🥀पोस्ट नम्बर(19)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू के फ़र्ज़ और सुन्नतें*
*वुज़ू के फ़राइज़ से मुताल्लिक़ ज़रूरी मसाइल:-*

*2⃣ हाथ धोना:-* इस हुक्म में कुहनियाँ भी दाखिल हैं। अगर कुहनीयों से नाख़ुन तक कोई जगह ज़र्रा बराबर भी धुलने से रह जाएगी तो वुज़ू नहीं होगा।

💡हाथों की आठों घाईयाँ, उँगलियों की करवटें, नाख़ुनों के अंदर जो जगह ख़ाली है, कलाई का हर बाल जड़ से नोक तक इन सब पर पानी बह जाना ज़रूरी है अगर कुछ भी रह गया या बालों की जड़ों पर पानी बह गया किसी एक बाल की नोक पर ना बहा तो वुज़ू नहीं हुआ।

💡बजाय पाँच के छः उंगलियां हैं तो सब का धोना फ़र्ज़ है और अगर एक कंधे पर दो हाथ निकले तो जो पूरा है इस का धोना फ़र्ज़ है और उस दूसरे का धोना फ़र्ज़ नहीं मुस्तहब है मगर उस का वो हिस्सा कि इस हाथ के ऐसे हिस्से से जुड़ा है जिसका धोना फ़र्ज़ होता है तो इतने का धोना भी फ़र्ज़ है।
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*🥀पोस्ट नम्बर(20)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू के फ़र्ज़ और सुन्नतें*
*वुज़ू के फ़राइज़ से मुताल्लिक़ ज़रूरी मसाइल:-*

*3⃣ सिर का मसह करना:-* चौथाई सिर का मसह फ़र्ज़ है। मसह करने के लिए हाथ तर होना चाहीए।

💡सिर पर बाल ना हों तो जिल्द की चौथाई और जो बाल हों तो ख़ास सिर के बालों की चौथाई का मसह फ़र्ज़ है और सिर का मसह उसी को कहते हैं। साफ़े, टोपी, दुपट्टे पर मसह काफ़ी नहीं।

*4⃣ पांव को गट्टों समेत एक बार धोना:-* घाईयें और उँगलियों की करवटें, तलवे, ऐड़ीयां, कूँचें (यानी एड़ीयों के ऊपर के मोटे पट्ठे), सब का धोना फ़र्ज़ है।

💡किसी जगह छाला था और वो सूख गया मगर उस की खाल अलग नहीं हुई तो खाल अलग कर के पानी बहाना ज़रूरी नहीं बल्कि उसी छाले की खाल पर पानी बहा लेना काफ़ी है।
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*🥀पोस्ट नम्बर(21)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू के फ़र्ज़ और सुन्नतें*

*✨सुन्नतें:-* 1- नीयत करना यानि अल्लाह तआला का हुक्म मानने की नीयत से वुज़ू करना। और बिस्मिल्लाह से वुज़ू शुरू करना।

2- दोनों हाथों को गट्टों तक तीन-तीन बार धोना। पहले दायाँ और फिर बायाँ हाथ धोना।

3-  दाँतों में मिस्वाक करना। (कम से कम तीन बार दाहिने बायें ऊपर नीचे के दाँतों पर) दाहिने हाथ से  तीन बार कुल्ली करना। (रोज़ादार न हो तो ग़रारा भी करे)

4- दाहिने हाथ से तीन बार नाक में पानी चढ़ाना। बायें हाथ से नाक  साफ़ करना।

5- दाढ़ी का ख़िलाल करना। यानि उँगलियों को गले की तरफ़ से दाढ़ी में डाल कर ऐसे फेरना जैसे कंघा करते हैं।

6- हाथ पाँव की उंगलियों का ख़िलाल करना। वुज़ू में धुलने वाले हर हिस्से को तीन बार धोना। पूरे सिर का मसह करना। कानों का मसह करना।
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*🥀पोस्ट नम्बर(22)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू का सवाब कम करने वाली चीज़ें (मकरूहात)*

*🚰 वुज़ू की कुछ मकरूह बातें यह है।*

💡वुज़ू के लिये गंदी जगह बैठना या नजिस जगह वुज़ू का पानी गिराना। मस्जिद के अन्दर वुज़ू करना।

💡 वुज़ू करते में जिस्म के किसी हिस्से से लोटे वग़ैरा में पानी की बूँदे या छींटे गिरना।

💡क़िबले की तरफ़ मुँह करके थूकना या कुल्ली करना।

💡दुनिया की, इधर-उधर की बातें करना। ज़्यादा पानी ख़र्च करना। और पानी इतना कम ख़र्च करना कि सुन्नत अदा न हो।

💡मुँह पर ज़ोर से पानी का छपाका मारना। मुँह पर पानी डालते वक़्त फूँकना। एक हाथ से मुँह धोना। धूप के गर्म पानी से वुज़ू करना।
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*🥀पोस्ट नम्बर(23)🥀*

*⤵Topic:- वुज़ू कब-कब करना चाहिए.?*

🚰 कुछ कामों के लिये वुज़ू करना फ़र्ज़ है यानि इसको छोड़ना गुनाहे कबीरा है और इसका इन्कार कुफ़्र है। कुछ कामों के लिये सुन्नत है और कुछ के लिये मुस्तहब।

*✨वुज़ू करना इन कामों के लिये फ़र्ज़ है।*

1- नमाज़ के लिये।
2- क़ुरआन शरीफ़़ छूने या पढ़ने के लिये।
3- तवाफे काबा के लिये वुज़ू वाजिब है।

*✨इन कामों के लिये वुज़ू करना सुन्नत है।*

1- ग़ुस्ले जनाबत यानि सोहबत के बाद पाकी के लिए नहाने से पहले।
2- जुनूब यानि जो सोहबत के बाद पाक नहीं हुआ उसको खाने, पीने और सोने के लिये।
3- अज़ान और इक़ामत के लिये।
4- जुमा और ईद के ख़ुतबे के लिये।
5- रौज़ा-ए-मुबारक हुज़ूर सलल्ललाहु तआला अलैह वसल्लम की ज़ियारत के लिये।
 6- अरफ़ात में ठहरने और सफ़ा और मरवा के दरमियान सई के लिये।
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*▶ POST NO.:- 24*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- वुज़ू कब-कब करना चाहिए.?*
🚰 कुछ कामों के लिये वुज़ू करना फ़र्ज़ है यानि इसको छोड़ना गुनाहे कबीरा है और इसका इन्कार कुफ़्र है। कुछ कामों के लिये सुन्नत है और कुछ के लिये मुस्तहब।
*✨इन कामों के लिये वुज़ू करना मुस्तहब है।*

1- सोने के लिये और सोने से उठने के बाद।
2- मय्यत के नहलाने या उठाने के बाद।
3- सोहबत से पहले।
4- ज़बानी क़ुरआन शरीफ़़ पढ़ने पढ़ाने के लिये।
5- दीनी किताबों को छूने के लिये।
6- सत्रे ग़लीज़ यानि पेशाब पख़ाने की जगह को छूने के बाद।
7- झूठ बोलने, गाली देने, बुरी बात कहने और ग़ीबत करने पर।
8- वुज़ू होने के बावजूद नमाज़ पढ़ने के लिये फिर से वुज़ू करना मुस्तहब है।
*📚To be continue next post..*
◆◆◆

*▶ POST NO.:- 25*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- वुज़ू तोड़ने वाली चीज़ें.!*
1- पेशाब, पाख़ाना, करने से।
2- वदी, मज़ी, मनी के निकलने से।
3- मर्द या औरत के पीछे के मक़ाम से हवा निकलने से, जिसको ‘रियाह‘ कहते हैं।
4- ग़फ़लत की नींद सो जाने से वुज़ू टूट जाता है।
5- अगर नमाज़ में जान बूझ कर सोया तो वुज़ू भी गया और नमाज़ भी गई वुज़ू करके दोबारा पढ़े, अगर बिना इरादा सोया तो वुज़ू टूटा नमाज़ नहीं गई, वुज़ू करके जिस रुक्न में सोया था वहाँ से अदा करेगा और नमाज़ का दोबारा पढ़ना बेहतर है।
*📚To be continue next post..*
◆◆◆


*▶ POST NO.:- 26*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- वुज़ू तोड़ने वाली चीज़ें.!*
6- ज़ोर से हँसने से वुज़ू टूट जाता हैः- नमाज़ में अगर आदमी इतनी ज़ोर से हँसे कि आस पास वाले सुन लें तो वुज़ू टूट जायेगा और नीयत भी टूट जायेगी और अगर इतनी ज़ोर से हँसा कि ख़ुद उसने ही सुना और आस पास वाले न सुन सकें तो वुज़ू नहीं जायेगा नमाज़ जाती रहेगी।
7- मुँह भर के उल्टी आने से वुजू़ टूट जाता है।
8- पागल हो जाने पर।
9- बेहोशी से चाहे बीमारी से हो या नशे से। नशा जिससे पाँव लड़खड़ाते हों।
10- दो लोगों का आपस में शर्मगाहें मिलाने से।
11- नमाज़ वग़ैरा के इंतज़ार में कभी कभी नींद आ जाती है तो कभी ऐसा ग़ाफ़िल हो जाता है कि उस वक़्त जो बातें हुईं उनकी उसे बिल्कुल ख़बर नहीं बल्कि दो तीन आवाज़ों में उसकी आँख खुली और अपने ख़्याल में वह यह समझता है कि सोया न था तो उसके इस ख़्याल का एतबार नहीं अगर कोई मोतबर आदमी कहे कि तू ग़ाफ़िल था यहाँ तक कि तू ऐसा ग़ाफ़िल था कि तुझे पुकारा गया लेकिन तूने जवाब नहीं दिया या बातें पूछी जायें और वह न बता सके तो उस पर वुज़ू लाज़िम है।
*📚To be continue next post..*
◆◆◆
*▶ POST NO.:- 27*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- वुज़ू तोड़ने वाली चीज़ें.!*

12- दुखती आ़ँख से पानी बहने पर वुज़ू टूट जाता है। आँख दुखते में जो आँसू बहता है नजिस है और उससे वु़ज़ू टूट जाता है इससे बचना बहुत ज़रूरी है। इस मसअले से बहुत से लोग ग़ाफ़िल हैं, अक़्सर देखा गया है कि कुर्ते वग़ैरा से इस हालत में आँख पोंछ लिया करते हैं अगर ऐसा किया तो कुर्ता वग़ैरा नापाक हो जायेगा।
13- वुज़ू के दरमियान में अगर रियाह यानि गैस निकले या कोई ऐसी बात हो जिससे वुज़ू टूट जाता है तो नये सिरे से फिर वुज़ू करे।
14- चुल्लू में पानी लेने के बाद अगर हदस हुआ यानि पेशाब पाख़ाना या रियाह वग़ैरा चीज़ें निकलीं तो वह पानी बेकार हो गया और वह किसी उज़्व के धोने के काम नहीं आ सकता।
15- बीमार लेट कर नमाज़ पढ़ रहा था अगर नींद आ गई तो वुज़ू टूट जायेगा।
*📚To be continue next post..*
◆◆◆
*▶ POST NO.:- 28*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- वुज़ू ग़ुस्ल और पाकी के लिये पानी का बयान.!*
💦अल्लाह तआला ने पानी में पाक करने की ऐसी ख़ासियत रखी है जो किसी और चीज़ से नही मिलती। हालांकि हवा, आग और मिट्टी से भी कुछ चीज़ें पाक हो जाती हैं मगर मुकम्मल पाकी पानी ही से हासिल की जा सकती है।
💦अल्लाह तआला ने पानी को पाक करने के लिए बनाया है। इसलिए इसे किसी भी तरह की निजासत को साफ़ करने और वुज़ू/ग़ुस्ल के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन सभी कामों के लिए पाक व साफ़ पानी की ज़रूरत होती है जो अपनी असली हालत में हो यानि पानी में कोई चीज़ इतनी तादाद में न मिली हो कि उससे पानी गाढ़ा हो जाए या उस चीज़ का रंग, मज़ा या बू (Smell) पानी में ज़ाहिर हो रहा हो, इस सूरत में वह पानी वुज़ू या ग़ुस्ल के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
💧यह बात अच्छी तरह याद रखनी चाहिए कि जिस पानी से वुज़ू जाइज़ है उससे ग़ुस्ल भी जाइज़ और जिससे वुज़ू नाजाइज़ है उससे ग़ुस्ल भी नाजाइज़ है। अब हम यह जानते हैं वुज़ू के लिए कैसा पानी इस्तेमाल करना जाइज़ है।
*📚To be continue next post..*
◆◆◆

*▶ POST NO.:- 29*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- वुज़ू ग़ुस्ल और पाकी के लिये पानी का बयान.!*
*💦अब हम यह जानते हैं वुज़ू के लिए कैसा पानी इस्तेमाल करना जाइज़ है।*
💡बारिश, नदी, नहर, चश्मे, समुन्दर, कुएँ, बर्फ़ और ओले का पानी पाक है इससे वुज़ू जाइज़ है।
💡पानी में कोई पाक चीज़ मिल गई जिससे वह गाढ़ा हो गया या उसका मज़ा और रंग वग़ैरा बदल गया हो तो उससे वुज़ू और ग़ुस्ल नहीं कर सकते जैसे शर्बत, गुलाब का पानी, डीटोल का पानी, शोरबा या चाय वग़ैरा।
💡पानी में अगर कोई पाक चीज़ मिली जिससे उसका रंग, मज़ा वग़ैरा बदल गया मगर पतलापन वही रहा जैसे रेत, चूना या थोड़ा सा ज़ाफ़रान वग़ैरा तो उससे वुज़ू जाइज़ है। लेकिन अगर ज़ाफ़रान का रंग इतना हो कि उससे कपड़ा रंगा जा सके तो उस पानी से वुज़ू/ग़ुस्ल जाइज़ नहीं।
*📚To be continue next post..*
◆◆◆

*▶ POST NO.:- 30*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- वुज़ू ग़ुस्ल और पाकी के लिये पानी का बयान.!*
*💦अब हम यह जानते हैं वुज़ू के लिए कैसा पानी इस्तेमाल करना जाइज़ है।*
💡बहता पानी पाक है और पाक करने वाला है। बहता पानी उसे कहते हैं जिसमें तिनका डाल दें तो उसे बहा ले जाये। अगर इस पानी में इतनी निजासत पड़ जाए कि उससे पानी का रंग, बू और मज़ा बदल जाये तो यह पानी नापाक हो जायेगा। अगर यह निजासत नीचे बैठ जाये या पाक पानी इतना मिले कि निजासत को बहा ले जाये जिससे पानी का रंग, बू और मज़ा ठीक हो जाये तो पानी पाक हो जायेगा उस पानी से वुज़ू करना और नहाना जाइज़ है।
💡छत के परनाले से गिरने वाला बारिश का पानी पाक है, चाहे छत पर या परनाले के मुँह पर निजासत पड़ी हो। लेकिन अगर निजासत से पानी की असली हालत में बदलाव आ गया तो पानी नापाक है। अगर बारिश रुक गयी और पानी का बहना ख़त्म हो गया तब वह ठहरा हुआ और छत से टपकने वाला पानी नजिस है।
*📚To be continue next post..*
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*▶ POST NO.:- 31*
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*⤵Topic:- वुज़ू ग़ुस्ल और पाकी के लिये पानी का बयान.!*
*💦अब हम यह जानते हैं वुज़ू के लिए कैसा पानी इस्तेमाल करना जाइज़ है।*
💡दस हाथ लम्बे, दस हाथ चौड़े हौज़़ या तालाब को दह-दर-दह कहते हैं। ऐसे हौज़़ या तालाब का पानी बहते पानी के हुक्म में है और इससे वुज़ू और ग़ुस्ल जाइज़ है, थोड़ी निजासत पड़ने से नापाक नहीं होता जब तक निजासत से पानी का रंग, बू या मज़ा न बदले। अगर हौज़़ गोल हो तो उसकी गोलाई यानि परिधि कम से कम साढ़े पैतींस हाथ हो यानि हौज़़ का क्षेत्रफल सौ हाथ हो। यहाँ पर हाथ से मुराद शरई हाथ है और एक हाथ लगभग आधा मीटर के बराबर होता है।
💡बड़े हौज़़ में ऐसी निजासत पड़ी हुई हो जो दिखाई न दे जैसे शराब या पेशाब तो उस हौज़़ के हर तरफ़ से वुज़ू जाइज़ है और अगर निजासत दिखाई दे जैसे पाख़ाना या मरा हुआ जानवर, तो जिस तरफ़ वह निजासत हो उस तरफ़ वुज़ू नहीं करना चाहिये, दूसरी तरफ़ से वुज़ू करे।
💡दह-दर-दह हौज़़ पर अगर बहुत से लोग जमा होकर वुज़ू करें तो भी कुछ हर्ज नहीं चाहे वुज़ू का पानी उसमें गिरता हो। लेकिन उसमें कुल्ली का पानी और नाक/थूक वग़ैरा नहीं डालना चाहिये।
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*▶ POST NO.:- 32*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- वुज़ू ग़ुस्ल और पाकी के लिये पानी का बयान.!*
*💦अब हम यह जानते हैं वुज़ू के लिए कैसा पानी इस्तेमाल करना जाइज़ है।*
💡जिस शख़्स पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ हो अगर वह पानी में उंगली का पोरवा या नाख़ून भी डालदे तो पानी वुजू़ के क़ाबिल नही रहता।
💡वुज़ू या ग़ुस्ल करने में बदन से गिरा पानी पाक है मगर उससे वुज़ू और ग़ुस्ल जाइज़ नहीं।
💡बे वुज़ू शख़्स का हाथ/उंगली/पोरा/नाख़ून या बदन का वह हिस्सा जो वुज़ू में धोया जाता हो जाने या अनजाने में दह-दर-दह से कम पानी में बिना धोये पड़ जाये तो वह पानी वुज़ू/ग़ुस्ल के क़ाबिल नहीं रहता।
💡अगर हाथ धुला हुआ भी है मगर फिर धोने की नीयत से डाला और यह धोना ज़रूरत की वजह से नहीं बल्कि सवाब के लिये हो जैसे खाने के लिये या वुज़ू के लिये तो यह पानी मुस्तामल यानि वुज़ू के काम का नहीं रहा और उस पानी का पीना भी मकरूह है।
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*▶ POST NO.:- 33*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- ग़ुस्ल के बारे मे*
🚰 ग़ुस्ल यानि नहाना एक आम बात है। आमतौर पर नहाना या तो जिस्म की सफ़ाई के लिये या फिर ठंडक और ताज़गी हासिल करने के लिये होता है। यह सब दुनियावी ज़रूरतें हैं लेकिन शरीयत के मुताबिक़ कुछ हालतें ऐसी होती हैं जब नहाना फ़र्ज़ हो जाता है और बिना नहाये नमाज़ और बहुत सी दूसरी इबादतें अदा नहीं की जा सकतीं। लिहाज़ा ग़ुस्ल के बारे में कुछ ज़रूरी जानकारी हर मुसलमान को होना लाज़िम है जो इस तरह है।
*💧ग़ुस्ल के फ़र्ज़:-* ग़ुस्ल के तीन फ़र्ज़ हैं या यह कह सकते हैं कि तीन चीज़े ख़ास हैं अगर उनमें से एक भी छूट गई या इनमें कोई कमी रह गई तो ग़ुस्ल नहीं होगा।
*1⃣कुल्ली करना*
*2⃣नाक में पानी डालना*
*3⃣पूरे बदन पर पानी बहाना*
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*▶ POST NO.:- 34*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- ग़ुस्ल के बारे मे*
*💧ग़ुस्ल के फ़र्ज़:-* ग़ुस्ल के तीन फ़र्ज़ हैं या यह कह सकते हैं कि तीन चीज़े ख़ास हैं अगर उनमें से एक भी छूट गई या इनमें कोई कमी रह गई तो ग़ुस्ल नहीं होगा।
*1⃣ कुल्ली करना:-* कुल्ली इस तरह से की जाये कि मुँह के अन्दर के हर एक हिस्से जैसे दाँत, उनके बीच की झिर्रियाँ, जड़, ज़बान और उसकी करवटें, मसूढ़े और हलक़ की जड़ तक पानी बह जाये अगर थोड़ा सा पानी मुँह में लेकर कुल्ली कर दी और होठों से लेकर हलक़ की जड़ तक बाल बराबर भी कोई हिस्सा सूखा रह गया तो ग़ुस्ल नहीं होगा और न ही उस से नमाज़ जाइज़ है।
*2⃣ नाक में पानी डालना:-* नाक के दोनों नथनों में जहाँ तक नर्म जगह है वहाँ तक पानी को साँस के साथ ऊपर चढ़ायें, बाल बराबर भी धुलने से रह गया तो ग़ुस्ल नहीं होगा। अगर नाक के अन्दर रेंठ सूख गई है तो उसका छुड़ाना फ़र्ज़ है।
*3⃣पूरे बदन पर पानी बहाना:-* सिर के बालों से पाँवों के तलवों तक जिस्म के हर हिस्से, हर रोंगटे पर पानी बह जाना फ़र्ज़ है।
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*▶ POST NO.:- 35*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- ग़ुस्ल के बारे मे*
*ग़ुस्ल करने का सुन्नत तरीक़ा*
*💡नीयत करना:-* पहले नीयत करना यानि दिल में यह इरादा करना कि निजासत से पाक होने, अल्लाह की रज़ा और सवाब के लिये नहाता हूँ न कि बदन साफ़ करने के लिये।
*💡हाथ धोना:-* फिर दोनों हाथों को गट्टों तक तीन-तीन बार धोयें।
*💡इस्तन्जे की जगह धोना:-* इस्तन्जे की जगह को धोयें चाहे निजासत लगी हो या नहीं।
*💡बदन पर लगी निजासत धोना:-* बदन पर जहाँ भी निजासत हो उसको दूर करें।
*💡वुज़ू करना:-* नमाज़ की तरह वुज़ू करें मगर पाँव नहीं धोने चाहियें लेकिन अगर किसी चीज़ पर बैठ कर नहायें तो पाँव भी धो लें।
*💡पूरे बदन पर पानी मलना:-* पूरे बदन पर तेल की तरह पानी मलें ख़ास कर सिर्दी के मौसम में।
*💡दाहिने कंधे पर पानी बहाना:-* तीन बार दाहिने कंधे पर पानी बहायें।
*💡बायें कंधे पर पानी बहाना:-* फिर तीन बार बायें कंधे पर पानी बहायें।
*💡पूरे बदन पर पानी बहाना:-* सिर और पूरे बदन पर तीन बार पानी डालें।
*💡पाँव धोना:-* अगर वुज़ू में पाँव नहीं धोये थे तो अलग हट कर पाँव धोयें।
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*▶ POST NO.:- 36*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- तयम्मुम के बारे मे*
💧जिस शख़्स का वुज़ू न हो या नहाने की ज़रूरत हो और पानी हासिल न कर सकता हो या पानी का इस्तेमाल नुक़सान करता हो तो वुज़ू और ग़ुस्ल की जगह तयम्मुम कर सकता है। तयम्मुम के बारे में ज़रूरी जानकारी इस तरह है।
*✨तयम्मुम इन सूरतों में करना जाइज़ है.!*
💡ऐसी बीमारी जिसका वुज़ू या ग़ुस्ल करने से बढ़ने या देर में अच्छा होने का सही अन्देशा हो, चाहे उसने ख़ुद आज़माया हो या किसी मुसलमान अच्छे क़ाबिल परहेज़गार हकीम/डाक्टर ने पानी के इस्तेमाल को मना किया हो। अगर बीमारी़ बढ़ने का सिर्फ़ ख़्याल या किसी ग़ैर मुस्लिम या फ़ासिक़ (गुनाहों का आदी) या मामूली हकीम/डाक्टर ने मना किया हो तो ऐसी सूरत में तयम्मुम जाइज़ नहीं।
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 *▶ POST NO.:- 37*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- तयम्मुम के बारे मे*
*तयम्मुम किन सूरतों में करना जाइज़ है.?*
*✨तयम्मुम इन सूरतों में करना जाइज़ है:-*
💡बीमारी में अगर ठंडा पानी नुक़सान करता है और गर्म पानी से नुक़सान न हो तो गर्म पानी से वुज़ू और ग़ुस्ल ज़रूरी है तयम्मुम जाइज़ नहीं। लेकिन अगर गर्म पानी न मिल सके तो तयम्मुम जाइज़ है।
💡अगर एक मील तक पानी मौजूद नहीं हो तब भी तयम्मुम कर सकता है।अगर यह गुमान हो कि एक मील के अन्दर पानी होगा तो तलाश करना ज़रूरी है बिना तलाश किये तयम्मुम जाइज़ नहीं फिर बग़ैर तलाश किये तयम्मुम करके नमाज़ पढ़ ली और बाद में पानी मिल गया तो वुज़ू कर के नमाज़ का लौटाना ज़रूरी है और अगर न मिला तो नमाज़ हो गई।
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*▶ POST NO.:- 38*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- तयम्मुम के बारे मे*
*तयम्मुम किन सूरतों में करना जाइज़ है.?*
*✨तयम्मुम इन सूरतों में करना जाइज़ है:-*
💡ज़म-ज़म शरीफ़़ जो लोगों के लिये तबर्रुक या बीमार को पिलाने के लिये लेकर जा रहे हैं और इतना है कि वुज़ू हो जायेगा तो तयम्मुम जाइज़ नहीं।
💡इतनी सर्दी हो कि नहाने से मर जाने या बीमार होने का सख़्त ख़तरा हो तो तयम्मुम जाइज़ है।
💡दुश्मन, डाकू, बदमाश, साँप या किसी दरिन्दे जैसे शेर वग़ैरा (जिनसे जान, माल और इज़्ज़त या आबरू का ख़तरा हो) के डर से पानी तक नहीं पहुँच सकते तो तयम्मुम जाइज़ है।
💡क़ैदी को जेलख़ाने वाले वुज़ू नहीं करने देते तो तयम्मुम करके पढ़ ले और रिहा होने पर नमाज़ दोहराये।
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*▶ POST NO.:- 39*
*▶ पाकी और सफ़ाई.!💡*
*⤵Topic:- तयम्मुम के बारे मे*
*तयम्मुम किन सूरतों में करना जाइज़ है.?*
*✨तयम्मुम इन सूरतों में करना जाइज़ है:-*
💡ग़ैरे वली को जनाज़े की नमाज़ छूट जाने का ख़ौफ़ हो तो तयम्मुम जाइज़ है, वली को नहीं कि उसका लोग इंतज़ार करेंगे और लोग बिना उसकी इजाज़त के पढ़ भी लें तो यह दोबारा पढ़ सकता है।
💡 दुरूद शरीफ़़ पढ़ने, दूसरे वज़ीफ़ों के पढ़ने, सोने, बेवुज़ू को मस्जिद में जाने या ज़बानी क़ुरआन शरीफ़़ पढ़ने के लिये तयम्मुम जाइज़ है चाहे पानी हासिल कर सकता हो।
💡कोई मस्जिद में सोया और नहाने की ज़रूरत हो गई तो आँख खुलते ही जहाँ सोया था वहीं फ़ौरन तयम्मुम करके निकल आये नापाकी की हालत में वहाँ ठहरना हराम है।
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